
देश के सैकड़ों वरिष्ठ और प्रबुद्ध नागरिकों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के खिलाफ संविधान की सीमा के परे जाकर अवैधानिक टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की है।
इन 117 लोगों में 15 पूर्व जज, 77 पूर्व नौकरशाह और 25 पूर्व सैन्य अफसर शामिल हैं और इस दौरान पत्र में कहा गया है कि, “सुप्रीम कोर्ट के जजों ने टिप्पणियों के जरिए लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है। हम जागरूक नागरिक के तौर पर मानते हैं कि देश का लोकतंत्र तभी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है, जब देश के सभी संस्थान संविधान के दायरे में रहकर ही काम करें।”

इस दौरान पत्र में मांग की गई है कि, इस पर तत्काल सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए संविधान की मर्यादा का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर असर देखने को मिल सकता है। देश की कई हस्तियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि न्यायपालिका के इतिहास में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों का कोई दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता है।
पत्र में कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा लांघी है और हमें खुला पत्र लिखने के लिए मजबूर किया है।’ पत्र में कहा गया है कि जो दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां की गई हैं, वे भारत की न्यायिक व्यवस्था पर एक अमिट दाग की तरह हैं। देश की कई हस्तियों की ओर से लिखे पत्र में कहा गया कि न्यायपालिका के इतिहास में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियों का कोई दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता है। यही नहीं पत्र में मांग की गई है कि इस पर तत्काल सुधार के कदम उठाए जाने चाहिए। इसका लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर असर देखने को मिल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वालों का मानना है कि जजों की टिप्पणी की वजह से देश में अराजकता फैलाने वाले अपराधिक तत्वों जिहादी ताकतों और कन्हैया लाल तेली की हत्या करने वाली मानसिकता को बढ़ावा मिलेगा साथ ही नूपुर शर्मा व स्वतंत्र टिप्पणी करने वाले अन्य नागरिकों की हत्या का खतरा और बढ़ेगा।
नेशनल ब्यूरो
द इंडियन ओपिनियन