कौन हैं सरोजनी नगर विधान सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार- राजेश्वर सिंह? पढ़े विस्तार से

भाजपा ने इस बार लखनऊ की सरोजनी नगर विधान सभा सीट से मंत्री स्वाति सिंह की जगह राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है। राजेश्वर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के जॉइंट डायरेक्टर रहे हैं।

अब उनका पुलिस सेवा से वी आर एस लेने के 24 घंटों के अन्दर बीजेपी में जाना और प्रत्याशी भी बन जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।वैसे भी जैसा उनका सेवा काल रहा है, उस वजह से भी वह लगातार चर्चा में रहे हैं। जिन मामलों की जांच में वे सक्रिय रहे, उनकी लिस्ट काफी लंबी है। ऐसे में शुरुआत से अब तक के उनके सफर पर एक नजर डालते हैं।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे हैं….

राजेश्वर सिंह 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं । जब वे लखनऊ के डिप्टी एसपी के रूप में नियुक्त हुए थे । हर कोई उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जानता था ।उनके नाम कुल 13 एनकाउंटर हैं जहां पर उन्होंने खतरनाक से खतरनाक अपराधी का सामना भी किया और उसे जेल की सलाखों के पीछे भी भेज दिया। इसके अलावा उनके विभाग के लोग उन्हें बतौर साइबर जेम्स बॉन्ड भी देखा करते थे। उनकी जांच करने का तरीका ऐसा रहता था कि अपनी ज्वाइनिंग के 14 महीने के भीतर ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली ।

कई घोटालों की जांच में रहे शामिल

इसके बाद 2009 में राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे और वहां पर अपनी सेवाएं देना शुरू कर दिया। ये वो समय था जब उन्होंने यूपीए कार्यकाल के दौरान सामने आए कई घोटालों की जांच की थी. इस लिस्ट में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला शामिल है जिनकी जांच से वे जुड़े रहे।

कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम संग तो उनके रिश्ते और ज्यादा तल्ख रहे थे।दो मामले तो ऐसे रहे जहां पर सीधे तौर पर पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम शामिल रहे। पहला तो रहा अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला और दूसरा एयरसेल-मैक्सिस सौदा। दूसरे मामले में तो कई मौकों पर राजेश्वर सिंह का पी चिदंबरम से सामना हुआ था ।

गोमती रिवर फ्रंट मामले में भी सक्रिय

इसके अलावा पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला, जगन मोहन रेड्डी और मधु कोड़ा के खिलाफ जो भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, उनकी जांच भी राजेश्वर सिंह द्वारा ही की गई ।राजनीति से इतर राजेश्वर सिंह ने अपनी सर्विस के दौरान सहारा प्रमुख सुब्रत राय को भी जेल भेजा था। तब उन पर हाउसिंग फाइनेंस के नाम पर लोगों से 24000 करोड़ ऐंठने का आरोप था। अखिलेश सरकार में लखनऊ में बने गोमती रिवर फ्रंट के केस की जांच में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही थी।

सुल्तानपुर का परिवार, लखनऊ में जन्म

राजेश्वर सिंह मूल रूप से सुल्तानपुर के पखरौली के रहने वाले हैं। हालांकि, उनका जन्म लखनऊ में ही हुआ है। उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद से इंजीनियरिंग की है। इसके बाद लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली। साल 1996 में वह पीपीएस अफसर चयनित हुए। राजेश्वर सिंह के पिता स्वर्गीय रण बहादुर सिंह भी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे।

परिवार में कई लोग अफसर:

राजेश्वर के भाई रामेश्वर सिंह इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। एक बहन मीनाक्षी आईआरएस अफसर हैं, जबकि बड़ी बहन आभा सिंह सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं। आभा सिंह इंडियन पोस्टल सर्विस में थीं। पत्नी लक्ष्मी सिंह लखनऊ रेंज की आईजी हैं। बहनोई राजीव कृष्ण एडीजी आगरा जोन हैं। एक और बहनोई वाईपी सिंह आईपीएस रहे, उन्होंने भी वीआरएस लिया था।

क्यों मिला टिकट?

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के कार्यकाल के दौरान हुए कई घोटालों की जांच करते-करते राजेश्वर सिंह की भाजपा से नजदीकियां हो गईं। सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में ही उनका घर है। अगस्त में वह पार्टी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में आए और वीआरएस लेकर राजनीति में आने का फैसला कर लिया। स्वामी प्रसाद मौर्य समेत तीन मंत्रियों के पार्टी छोड़ने के बाद सरोजनी नगर सीट से मौजूदा विधायक और योगी सरकार की मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काटना आसान नहीं था। इस बीच, स्वाति और उनके पति के बीच का विवाद चर्चा का विषय बन गया। भाजपा को स्वाति का टिकट काटने का मौका मिल गया और राजेश्वर को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।

उन्होंने अपने क्षेत्र के मतदाताओं से एक भावपूर्ण अपील के माध्यम से उनके साथ सम्वाद स्थापित करने का प्रयास किया है ।

क्या है सरोजनी नगर का जातीय समीकरण ?

लखनऊ की सरोजनी नगर सीट पर सबसे ज्यादा 1.75 लाख दलित वोटर्स हैं। इसके बाद 1.5 लाख ओबीसी, 70 हजार क्षत्रिय, 50 हजार ब्राह्मण और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। भाजपा दलित, ओबीसी, क्षत्रिय और फिर ब्राह्मण वोटर्स की मदद से इस सीट पर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी। इस सीट के दायरे में ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके आते हैं। लखनऊ एयरपोर्ट भी इसी क्षेत्र में है।

अब देखना यह है कि साफ सुथरी छवि वाला ये तेज़ तर्रार पुलिस ऑफिसर राजनीति में कितनी मज़बूती के साथ अपने कदम जामाता है और अपनी पकड़ बना पाता है । ऐसे लोगो का राजनीति में आना एक नई उम्मीद को जन्म देता है ।

रिपोर्ट- विकास चन्द्र अग्रवाल

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