
इन दिनों ग्रामीण बैंक कर्मी आंदोलित है । इस आंदोलन का मुख्य कारण सरकार द्वारा अपनी 50% की ग्रामीण बैंकों में हिस्सेदारी को प्रायोजक बैंकों को हस्तगत करना है जो अंततः निजीकरण के मार्ग को प्रशस्त करता है।
कर्मियों की माँगें
- वर्तमान प्रायोजक बैंकों से पूर्णतः मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना क्योंकि प्रायोजक बैंकें अब तक स्वामी सह प्रतिस्पर्धी की भूमिका निभाती आई हैं।
- ग्राहकों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सेवा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा अनुमोदित नीति (मित्रा समिति) के आधार पर मानवशक्ति नियोजन – समय से पर्याप्त भर्तियाँ और प्रोन्नतियाँ – प्रायोजक बैंकों की तर्ज पर प्रोन्नति नीतियों में संशोधन।
- बिना किसी भेदभाव, विचलन और तोड़मरोड़ के 11वें वेतन समझौते को लागू करना। दीर्घ काल से लंबित अन्य मुद्दे
A. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के लाभों को सुनिश्चित करते हुए भारत सरकार के पत्र दिनाँक 04.09.2019 के अनुसार दैनिक वेतनभोगी/आकस्मिक/ठेके पर नियुक्त कर्मियों का नियमितीकरण।
B. पेंशन भुगतान के संबन्ध में किसी कारणवश वंचित रह गये मामलों का आच्छादन तथा पेंशन अधिनियम 2018 की अधिसूचना की तिथि तक बैंक में नवनियुक्त कर्मचारियों का आच्छादन।
C. कोविड 19 त्रासदी के शिकार कर्मियों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा राशि का भुगतान।
D. ग्रेच्यूटी भुगतान से संबन्धित, अनुकंपा नियुक्ति योजना की प्रभावी तिथि तथा कंप्यूटर इंक्रीमेंट से संबन्धित विवादों का निस्तारण
आन्दोलन का प्रथम चरण : ज्ञापन देने की प्रक्रिया
ग्रामीण बैंकों के प्रस्तावित पुनर्गठन के विरोध में तथा अन्य सुविधाओं में प्रायोजक बैंकों से समानता हेतु ग्रामीण बैंक कर्मियों की एक यूनियन AIRRBEA ने अपने आन्दोलन के प्रथम चरण में जनप्रतिनिधियों, जिलाधिकारियों, विधायकों तथा सांसदों को स्थानीय यूनिटों तथा प्रदेश संघों द्वारा ज्ञापन देने के कार्यक्रम का आह्वान किया है।इसी क्रम में आज आर्यावर्त बैंक की यूनिट ने महामंत्री श्री चैनसिंह रावत के नेतृत्व में देश के रक्षामंत्री और लखनऊ के सांसद श्री राजनाथ सिंह को ज्ञापन सौंपा है।
रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल