पंच तत्त्वों में विलीन हो गए नामी प्लास्टिक सर्जन और केजीएमयू के पूर्व प्रिंसिपल प्रोफेसर रमेश चन्द्रा

लखनऊ – कल शाम हृदय गति रुक जाने के कारण शहर के जाने माने प्लास्टिक सर्जन प्रोफेसर रमेश चन्द्रा का देहान्त हो गया है । आज दिन में परिवार जनों और शुभ चिंतकों की उपस्थिति में भैसाकुण्ड शव घाट पर उनका अन्तिम संस्कार सम्पन्न हुआ।

उनके बड़े पुत्र डॉ राजीव अग्रवाल,जो इस समय, पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं, ने बताया कि उनके पिता कल सुबह से ही कुछ असहज महसूस कर रहे थे। जांच रिपोर्ट में हार्ट अटैक के लक्षणों की संभावना को देखते हुए उन्हें अस्पताल भर्ती कराने का निर्णय लिया गया । घर से अस्पताल ले जाते समय हृदय गति रुकने के कारण रास्ते में उनका देहान्त हो गया। उनकी मृत्यु से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग स्तब्ध हैं ।

प्रोफ़ेसर चन्द्रा ,उत्तर प्रदेश के मुज़्ज़फरपुर ज़िले की खतौली तहसील के निवासी थे और 1950-60 के दशक में चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त करने लखनऊ आये थे और फिर लखनऊ के ही हो के रह गए थे। उन्होंने केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष और केजीएमयू के प्रिंसिपल के महत्वपूर्ण पदों पर बखूबी कार्य किया। चिकित्सा क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें डॉ बी सी रॉय , पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। देश -विदेश में आयोजित गोष्ठियों में सहभागिता और मेडिकल जर्नल्स में प्रकाशित पेपर्स के माध्यम से उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र को समृद्ध करने में अपना मत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

डॉ चंद्रा की पत्नी डॉ पदम् अग्रवाल एक जानी मानी पैथोलोजिस्ट है । उनकी बड़ी बहू डॉ तूलिका अग्रवाल , कोविड काल में प्लाज्मा थेरेपी पर किये गए कार्यों के लिए बहुत सराही गई हैं । छोटा बेटा और बहू , ब्रिटेन में प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं। परिवार की वर्तमान पीढ़ी भी चिकित्सा क्षेत्र में अपना योगदान देने की राह पर अग्रसर है ।

आकर्षक व्यक्तित्तव के मालिक, मृदुभाषी और मिलनसार डॉ रमेश चन्द्रा हमेशा अपने चाहने वालों , विद्यार्थियों और मरीजों के बीच सम्मान के साथ याद किये जायेंगे ।

रिपोर्ट – विकास चन्द्र अग्रवाल

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