यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सियासी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। सरकार जहां अपनी उपलब्धियों को बता रही है तो वहीं विपक्ष भी सरकार को घेरने में जुटी हुई है। इस दौरान ब्राह्मणों पर राजनीति भी खूब हो रही है। बहुजन समाज पार्टी ने जहां अयोध्या में प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी का आयोजन कर ब्राह्मण सम्मेलनों के पहले चरण की शुरुआत की तो वहीं अब सपा भी ब्राह्मणों को साधने में जुट गई है।
बता दें, ब्राह्मणों को भाजपा को कोर वोटर माना जाता है। इसलिए सभी पार्टियों ने उन्हें अपने पाले में करने के लिए सारी ताकत झोंक दी है। इसी कड़ी में बसपा के बाद अब समाजवादी पार्टी भी ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन करेगी, जिसका आगाज 23 अगस्त को 1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडेय की जन्मभूमि पूर्वांचल के बलिया जिले से होगा। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भी शामिल होने की बात कही जा रही है।
आपको बता दे कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे की अध्यक्षता में पार्टी के पांच ब्राह्मण नेताओं पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा, पवन पांडेय, सनातन पांडेय और मनोज पांडेय ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद अखिलेश ने उन्हें प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन कराने की जिम्मेदारी दी। बलिया के टाउन डिग्री कॉलेज के मैदान में होने वाले सम्मेलन में पूर्वांचल सहित प्रदेश के ब्राह्मण नेताओं का जमावड़ा होगा। सपा ने इस सम्मेलन को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं।
बता दें, यूपी विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण फैक्टर अहम भूमिका निभा सकता है। चाहे 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव, ब्राह्मणों ने बीजेपी के पक्ष में जमकर वोट किया, जिसका नतीजा यह रहा कि राज्य में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली। इतनी सीटें राम मंदिर आंदोलन के दौरान भी पार्टी को नहीं मिली थी। यही कारण है कि बीजेपी जहां अपने इस परंपरागत वोट बैंक को अपने पाले में बनाए रखने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रख रही है तो वहीं विपक्ष ने भी इन्हें अपने साथ करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
प्रदेश में अब तक केवल 6 ब्राह्मण नेता ही मुख्यमंत्री बन पाए है। इनमें गोविंद वल्लभ पंत, सुचेता कृपलानी, कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, श्रीपति मिश्र और नारायण दत्त तिवारी शामिल है। गौर करने वाली बात ये है कि ये सभी कांग्रेस से थे, जिसमें से नारायण दत्त तिवारी को तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, जिन्होंने ये कहा था कि उप्र के युवा इसलिए बेरोज़गार हैं क्योंकि वो योग्य नहीं हैं, आज उनको ख़ुद ही अपनी योग्यता व प्रदर्शन के लिए ‘इंटरव्यू’ देना पड़ेगा, लेकिन हो सकता है परीक्षाओं का पर्चा लीक करानेवालों को प्रश्न पहले से ही पता हों और उत्तर भी।उन्होंने कहा, ये समीक्षा भाजपा का ढोंग है।
बता दें, इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था, भाजपा आज अपने उप्र के सांसदों से यूपी की दुर्दशा व दुर्गति का हाल दिल्ली बुलाकर पूछ रही है, इससे पता चलता है कि दिल्ली तथा लखनऊ में कितनी दूरी है।
उन्होंने आगे कहा, भाजपा चाहे कितनी भी बैठकें कर ले पर अब जनता इन्हें उठाकर और हटाकर ही दम लेगी। आंकलन बाद में और झूठी तारीफ़ पहले, वाह रे भाजपा!
बता दें, दिल्ली में बुधवार से यूपी के बीजेपी सांसदों की दो दिवसीय बैठक हो रही है। बुधवार को बृज, पश्चिम और कानपुर क्षेत्र के सांसदों की बैठक हुई थी जबकि गुरुवार को काशी, अवध और गोरखपुर क्षेत्र के सांसदों की बैठक होगी।
रिपोर्ट – आर डी अवस्थी