बाबू जगदेव प्रसाद जिन्होंने दलितों पिछड़ों के लिए कुर्बान की जिंदगी, बाबू सिंह कुशवाहा ने दी श्रद्धांजलि!

दलितों और पिछड़ों के लिए संघर्ष करने वाले बाबू जगदेव प्रसाद को पूरे प्रदेश में दी जा रही है श्रद्धांजलि!

दिनांक 05 सितम्बर 2021 दिन रविवार को अमर शहीद भारत लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद जी के सहादत दिवस पर जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओ द्वारा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया
बाबू जगदेव प्रसाद जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया ।

श्रद्धांजलि सभा मे बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद का जन्म 02 फरवरी 1922 को बिहार प्रदेश के जनपद जहानाबाद के कुर्था प्रखंड के कुरहारी गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ था । वे बचपन से ही शोषण अन्याय अत्याचार के विरुद्ध रहा करते थे । बाबू जगदेव प्रसाद जी 1967 में शोषण अन्याय अत्याचार सामन्तवाद के विरुद्ध लङाई की बुनियाद डालते समय ही कहा था कि मैं जिस लङाई की बुनियाद डाल रहा हूँ यह काफी लंबी चलेगी जिसमे पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे , दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएगे , तीसरी पीढ़ी के लोग राज करेंगे ।

बाबू जगदेव प्रसाद जी को मिल रहे जन समर्थन एवं 1967 से 1972 के बीच तत्कालीन केंद्र की सरकार डगमगाने लगी थी जो 05 सितम्बर 1974 को कुर्था प्रखंड पर आयोजित सत्याग्रह आंदोलन में सरकार के इशारे पर एक पुलिस कर्मी ने बाबू जगदेव प्रसाद जी को गोली मारा था जिससे सोशितो कि लङाई लङते हुए बाबू जगदेव प्रसाद जी वही शहीद हो जाते है ।

बाबू जगदेव प्रसाद जी के अधूरे सपने को पूरा करने का संकल्प लेकर जन अधिकार पार्टी के बैनर तले बाबू सिंह कुशवाहा जी संघर्ष कर रहे है शोषित को अपने अधिकारों को प्राप्त करने का समय आ गया है जो बिना सत्ता में पहुचे सम्भव नही है । इसलिए पिछड़ा दलित वंचित वर्ग को जन अधिकार पार्टी के मुखिया मा0 बाबू सिंह कुशवाहा जी के साथ खङे होकर जन अधिकार पार्टी को सत्ता में पहुचाकर अपने हक एवं अधिकार को प्राप्त करने का समय आ गया है ।

जन अधिकार पार्टी इस देश मे संविधानवाद स्थापित करना चाहती है जिससे देश का हर ब्यक्ति सम्मानभरा जीवन जी सके , इसके साथ ही जिस जाती की जितनी संख्या है उस जाती को जीवन के हर क्षेत्रो में उसकी संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए , देश मे एक समान शिक्षा प्रणाली लागू किया जाए जिससे देश मे अमनचैन कायम हो सके ।जन अधिकार पार्टी एक आंदोलन का नाम है समाज के अंतिम ब्यक्ति के होठों पर मुस्कान देखना चाहते है ।

ब्यूरो रिपोर्ट द इंडियन ओपिनियन

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