बेलगाम बिजली बिल और फसलें चरते मवेशियों के मुद्दे पर वोटर्स दे सकते हैं बीजेपी को झटका!

लखनऊ : सालों पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी गंभीरता के साथ प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि निराश्रित मवेशी गोवंश जानवर इधर-उधर घूमते ना दिखाई पड़े खेतों में किसानों की फसलों की सुरक्षा जानवरों से सुनिश्चित करने के लिए गांव-गांव में गौशाला और पशु आश्रय स्थल बनवाए जाएं ।

लेकिन ज्यादातर जिलाधिकारियों की लापरवाही के चलते अधिकांश जनपदों में छुट्टा जानवर किसानों के लिए मुसीबत बने हुए हैं इसके अलावा गांव देहात की सड़कों पर कई बार तो हाईवे पर भी जानवरों का हुजूम दिन-रात घूमते हुए दिखाई पड़ता है जिसके चलते सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं।

प्रदेश के ज्यादातर गांव में किसानों को रात रात जागकर खेतों में अपनी फसलों की रखवाली करनी पड़ती है लाठी डंडा टॉर्च और पटाखे लेकर किसान रात भर और कई बार तो दिन भर भी जानवरों से जूझते रहते हैं इसके बावजूद बहुत सी फसलें बर्बाद हो जाती है ।क्योंकि 24 घंटे जानवरों का खतरा बना रहता है ।

भूखे प्यासे मवेशियों को जब भूख लगती है तो वह फसलों के खेतों पर टूट पड़ते हैं इस समस्या के लिए बनाए गए ज्यादातर गौशालाओं का भी बुरा हाल होने की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं लेकिन मुख्यमंत्री के शीर्ष प्राथमिकता वाले इस कार्यक्रम को लेकर ज्यादातर जिला अधिकारियों की लापरवाही साफ उजागर है और इसकी वजह से सीधे तौर पर प्रदेश का सबसे बड़ा मतदाता वर्ग यानी प्रदेश का किसान बेहाल है ।

जानकारों के मुताबिक आने वाले विधानसभा चुनाव में फसलों की बर्बादी भी एक बड़ा मुद्दा है सभी दलों के नेता इस विषय पर चिंता जता रहे हैं विपक्ष बड़ा मुद्दा बना रहा है साफ जाहिर है कि चुनाव में योगी सरकार को इस मुद्दे पर मतदाता बड़ा झटका दे सकते हैं ।

वही उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग की लापरवाही से प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बढ़ा हुआ बिजली का बिल आने की खूब शिकायतें आ रही हैं खुद बिजली विभाग के सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर उपभोक्ताओं को समय से बिजली का बिल नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है बढ़ा हुआ बिल और कई महीनों का बिल एक साथ देने की शिकायतें बहुत साधारण हो चुकी हैं इसकी वजह से उपभोक्ता भी परेशान हैं क्योंकि उनके घरों पर जब 6 महीने में एक बार बड़ी धनराशि का बिल पहुंचता है तो उन्हें भी जोर का झटका लगता है । वैसे भी यह कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बहुत महंगी है जिसकी वजह से यहां छोटे उपभोक्ताओं को भी भारी बिजली का बिल भरना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से कई बार यह बिल बहुत गलत बनकर आता है वास्तविकता से ज्यादा बनकर आता है।

बिजली का बिल सही कराने के लिए धनराशि को कम कराने के लिए लोगों को दर्जनों बार अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं और कई बार बिल कम कराने के नाम पर सही कराने के नाम पर भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का शिकार भी होना पड़ता है इससे भी उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार की छवि खराब हो रही है।

जानकारों के मुताबिक यह विषय भी चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेगा क्योंकि आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे दलों ने इस मुद्दे पर बीजेपी का जम कर घेराव किया है और उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को उन्हें सत्ता में आने का मौका देने पर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और पुराने बकाया बिलों को माफ करने का लालच दिया है ।

राजनीतिक पंडितों की माने तो छुट्टा जानवरों से खराब हो रही किसानों की फसलों और बेतहाशा बिजली के बिल की वजह से बीजेपी को मतदाता चुनावी करंट का झटका दे सकते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट

द इंडियन ओपिनियन

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