
कश्मीरी पंडित समुदाय को धर्मनिरपेक्षता का आभास दिलाने के लिए बंधक बनाने की नीति से मुक्त किया जाए-
डॉ अजय श्रुंगू
कश्मीरी पंडित समाज के लोगों ने जम्मू के बूटा नगर प्रवासी कैंप में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया । जम्मू कश्मीर और केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडित समाज के कर्मचारियों और अन्य लोगों को सरकार और स्थानीय प्रशासन के द्वारा जबरन रोके जाने की नीति से उनका जीवन खतरे में है और लगातार कश्मीरी पंडित समाज के लोग सरकार की गलत नीतियों के चलते आतंकवादियों के शिकार हो रहे हैं।
कश्मीर में प्रधानमंत्री राहत पैकेज के तहत कश्मीरी पंडित समाज के लोगों को दी गई सरकारी नौकरियां उनकी जान पर भारी पड़ रही हैं क्योंकि ऐसे लोगों के द्वारा लगातार उन्हें जम्मू ट्रांसफर किए जाने की मांग कर रही है लेकिन जम्मू कश्मीर सरकार के द्वारा उनकी मांग को अनसुना किया जा रहा है और उनसे जबरन कश्मीर घाटी में नौकरी करवाई जा रही है जिसके चलते लगातार उनकी हत्याएं की जा रही हैं ना वो तो उन्हें समुचित सुरक्षा की गारंटी मिल रही है और ना ही उन्हें सुरक्षित स्थान यानी जम्मू क्षेत्र में ट्रांसफर किया जा रहा है।

पनून कश्मीर संगठन के प्रमुख डॉ अजय श्रुंगू ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि शासन सत्ता को यह समझना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों को जबरन घाटी में रुकने का प्रयोग और उन्हें धर्मनिरपेक्षता का आभार दिलाने का प्रयास एक बड़ी त्रासदी का कारण बन रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर में लंबे समय से हिंदुओं की सिलसिलेवार हत्या हो रही है जो कि हिंदुओं के खिलाफ जिहादी युद्ध का एक हिस्सा है और अब यह युद्ध पहले से अधिक खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है । कश्मीरी पंडितों के विरोध प्रदर्शन में शामिल अन्य वक्ताओं ने यह भी कहा कि भारत की सरकार इस जिहादी आतंकवाद को एक समग्र युद्ध के रूप में स्वीकार करने में विफल रही है जिसका परिणाम यह हो रहा है कि यह जिहादी युद्ध देश के अन्य हिस्सों में भी पहुंच रहा है और देश को इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
कश्मीरी पंडितों के संगठन ने यह भी संकल्प लिया कि वह अपने समाज के लोगों और उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए हर तरह का प्रयास करेंगे उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें कश्मीर से हटाकर जम्मू में नहीं बसाया गया तो कश्मीरी पंडित समुदाय राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के लिए कहीं ना कहीं अभी तक जम्मू कश्मीर में काम करने वाली सरकार और प्रशासन के लोग भी जिम्मेदार हैं।
वही कश्मीरी हिंदुओं के संगठन से जुड़े वरिष्ठ एक पदाधिकारी ने द इंडियन ओपिनियन से टेलिफोनिक वार्ता में बताया कि, “इस समय कश्मीर घाटी में हालात बहुत खराब है जगह-जगह हिंदुओं के खिलाफ पोस्टर चिपकाए गए हैं हिंदुओं पर हमेशा जान का खतरा मंडरा रहा है केंद्र और राज्य की सरकार कश्मीरी हिंदुओं को सुरक्षा देने में विफल रही है हालत यह है कि हमारे संगठन के लोग प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिलने का प्रयास कर रहे हैं तो उन्हें मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है हमारी तकलीफों को सुना नहीं जा रहा है. हमारी मांग लंबे समय से अनसुनी की जा रही है और हमें इस संकट में अकेला छोड़ दिया गया है कश्मीर के गवर्नर चाह कर भी हमारी मदद नहीं कर रहे सेना के भी हाथ बांध दिए गए हैं। हमारे लोग बहुत परेशान हैं उनके सामने दो ही रास्ते हैं या तो इस्लाम स्वीकार करें या मारे जाएं”
द इंडियन ओपिनियन
जम्मू