
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट 2021 का परिणाम लंबे समय बाद जुलाई में जारी किया गया है। बोर्ड के अफसरों का कहना है कि काफी पहले जुलाई में एक रिजल्ट आया था, इस बार देरी का कारण कोरोना संक्रमण रहा है। फार्मूला तय करने में बहुत समय लगा। इसके बाद सभी के अंक खोजने में देरी हुई। हालांकि यूपी बोर्ड इस वर्ष भी सीबीएसई से आगे निकल गया है, उसने शुक्रवार को इंटर का ही परिणाम जारी किया है, जबकि हाईस्कूल के रिजल्ट का अभी इंतजार है।
यूपी बोर्ड से जुड़े लोगों को याद नहीं है कि इसके पहले जुलाई माह में बोर्ड का परिणाम कब आया था। आमतौर पर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का परिणाम अप्रैल, मई व जून माह में ही घोषित होता आ रहा है। पहले बोर्ड दोनों परीक्षाओं का परिणाम अलग तारीखों में जारी करता रहा है, जबकि 2015 से साथ परिणाम देने का सिलसिला जारी हुआ, जो अब तक जारी है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर में जैसे-तैसे कापियों का मूल्यांकन कराकर परिणाम जून के अंत में जारी कर दिया गया था।
हाईस्कूल व इंटर का परिणाम कालेजों की ओर से भेजे गए अंकों पर ही निर्भर रहा। प्रधानाचार्यों ने 9वीं व 11वीं की वार्षिक और 10वीं की बोर्ड परीक्षा के अंक देने में सावधानी बरती, क्योंकि ये रिकार्ड छात्र-छात्राओं व बोर्ड के पास भी उपलब्ध थे, वहीं प्री-बोर्ड और अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मनमाने तरीके से अंक दिए गए। दरअसल इसका अभिलेखीय साक्ष्य किसी के पास नहीं था।
रिपोर्ट – आर डी अवस्थी