अपराध नियंत्रण ही नहीं आर्थिक सामाजिक उन्नति का ज़रिया है पुलिस का “मिशन कायाकल्प”

क्या है मिशन कायाकल्प?

आईपीएस अधिकारी डॉ अरविंद चतुर्वेदी कि यह कार्ययोजना योजना इतनी व्यापक है कि इसमें एक तरफ तो अपराध नियंत्रण का ठोस फार्मूला है तो दूसरी तरफ आत्मनिर्भर बनकर सम्मानित जीवन जीने का मार्ग भी उपलब्ध कराया जा रहा है।


मिशन कायाकल्प बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी का एक विचार है जो अब साकार रूप में  सैकड़ों ग्रामीणों के जीवन  में  स्वाभिमान और स्वावलंबन के रूप में अंकुरित हो रहा है, जिसे वह बाराबंकी जनपद के सभी पुलिस सर्किल के ऐसे एक एक गांव में लागू कर रहे हैं जहां गरीबी और पिछड़ापन ज्यादा होने के साथ ही अपराधिक घटनाएं करने वालों का निवास स्थान भी है।

जिले के सबसे पिछड़े गांव से हुई शुरुआत

बाराबंकी पुलिस ने इसकी शुरुआत की है रामनगर तहसील के चयन पुरवा गांव से घाघरा नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में शामिल चयन पुरवा जिले के सबसे पिछड़े गांव में से एक है यहां जागरूकता का अभाव गरीबी और बेरोजगारी कुछ ऐसी है कि लोगों ने अवैध शराब के निर्माण को कुटीर उद्योग का रूप दे दिया था और पिछले दो दशकों से यह गांव कच्ची यानी अवैध शराब के उत्पादन को लेकर काफी चर्चित रहा इस गांव के दर्जनों लोग कच्ची शराब बनाना जानते हैं और इस मामले में कई बार जेल भी जा चुके हैं आए दिन यहां शराब की भठ्ठी तोड़ी जाती थी कई क्विंटल लहन नष्ट किया जाता था महिलाएं पुरुष जेल जाते थे बच्चे रोते चीखते थे और कुछ दिनों बाद फिर अवैध शराब की भठ्ठी लगती थी क्योंकि लोगों के पास जीवन जीने का कोई और रास्ता नहीं था।

अपराधियों के मनोविज्ञान और सामाजिक आर्थिक स्थिति को समझना जरूरी

अपराध का निराकरण सिर्फ दोषियों को जेल भेजने से नहीं हो सकता अपराध के सामाजिक आर्थिक पहलुओं और मनोविज्ञान को समझना भी बहुत आवश्यक होता है। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने बारीकी से गांव से जुड़े सभी विषयों का अध्ययन किया और मधुमक्खी पालन और शहद का कारोबार करने वाले युवा उद्यमी इंजीनियर निमित्त सिंह को चयन पुरवा गांव के लोगों को शहद उत्पादन और मोमबत्ती निर्माण के काम से जोड़ने के लिए जिम्मेदारी सौंपी और खुद उन्होंने पूरा सहयोग उपलब्ध कराया।

रविवार को चयन पुरवा में दिखा आत्मनिर्भरता का प्रकाश

रविवार के दिन चैन पुरवा में स्वाभिमान और स्वावलंबन का एक अनोखा समागम देखने को मिला गांव के लगभग सभी महिलाएं पुरुष और बच्चे एक बगीचे में थे।
बगीचे के एक हिस्से में पुलिस अधीक्षक की प्रेरणा से  निमित्त सिंह उन्हें सरल उपकरणों के द्वारा मोमबत्ती बनाना सिखा रहे थे। मधुमक्खी पालन में दोहरा लाभ है शहद भी अच्छी कीमत में बिकता है और जब मधुमक्खियां चली जाती हैं तो बॉक्स में बचे हुए छत्ते से अच्छी मात्रा में मोम निकलता है शुद्ध प्राकृतिक मोम जिससे अच्छी क्वालिटी की मोमबत्तियां बनती हैं जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती हैं कांच और प्लास्टिक के फ्रेम में निमित्त सिंह ने गांव की कई महिलाओं को डिजाइनर मोमबत्तियां बनाना सिखाया जो कि महानगरों के शॉपिंग मॉल में शहरों की दुकानों में अच्छे मुनाफे पर बिक जाती है।

वही बगीचे के हिस्से में एक छोटा सा अस्थाई मंच था यहां पुलिस अधीक्षक बाराबंकी उनकी धर्मपत्नी वामा सारथी की जनपद संचालिका श्रीमती रागिनी चतुर्वेदी और उच्च न्यायालय के एक विद्वान अधिवक्ता भी सपरिवार मौजूद थे कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक ने गांव के कई बुजुर्गों का माल्यार्पण कर सम्मान किया कई महिलाओं के नव अंकुरित स्वाभिमान के संस्मरण सुने। लोगों ने गांव के निकट स्थित जलधारा पर पुल बनाने की मांग की सरकारी स्कूल की दुर्दशा बताइए गरीबी और बेरोजगारी की व्यथा बताई यह भी बताया कि गांव में कई लोगों की सांप काटने से मौत हो गई क्योंकि समय पर इलाज नहीं मिला। कुछ देर के लिए लोगों के कष्टों  की दास्तान सुनकर आत्मग्लानि भी हुई और यह विचार आया कि देश में जिन लोगों के कल्याण के नाम पर भारी भरकम व्यवस्था पर हजारों करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं वह अभी भी किस तरह दुख दर्द के भंवर में फंसे हुए हैं और उनके कल्याण के कार्य में कथित तौर पर लगे हुए कर्मचारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि कहां से कहां पहुंच गए।

हालांकि चैन पुरवा में बहुत सी महिलाओं ने सामने आकर यह बताया कि वह मोमबत्तियां बनाना सीख गई हैं और उन्हें अब यह उम्मीद जगी है कि उनका गांव विकसित होगा गांव के कुछ बच्चों ने भी आगे आकर यह कहा कि अब उन्हें अपना गांव अपराध और पिछड़ेपन के दलदल से बाहर आता  दिख रहा है अब वह पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहते हैं और यह चाहते हैं कि चैन पुरवा की पहचान बदले चल पुरवा का नाम सम्मान से लिया जाए।
आसपास के भी कई गांव के लोग कार्यक्रम में यह सोच कर चले आए की चैन पुरवा के लोगों के लिए कुछ अच्छा हो रहा है तो हम भी क्यों ना उस श्रृंखला से जुड़े हैं जो ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बना रही है जो जीवन में कायाकल्प का एक अवसर प्रदान करती है।

अब चैन पुरवा को दिख रही है उम्मीद की रोशनी

इस कार्यक्रम ने निसंदेह घने अंधेरे में उजाले का एक दीप जलाया है और अब चैन पुरवा के लोग खुद अपने जीवन के प्रकाश का सृजन कर रहे हैं। कार्यक्रम के समापन के पहले पुलिस अधीक्षक ने वहां मौजूद सभी बच्चों को टॉफियां बाटी और वहां उपस्थित महिलाओं को गिफ्ट के पैकेट दिए गए वहीं वामा सारथी की जनपद प्रभारी श्रीमती रागिनी चतुर्वेदी के द्वारा गांव की महिलाओं को सैकड़ों की संख्या में सेनेटरी नैपकिन के पैकेट भी वितरित किए गए और स्वच्छता का संदेश भी दिया गया। गांव के लोगों ने बाराबंकी के जिला अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी से भी आग्रह किया है कि वह चैनपुरवा का हाल देखें और न सिर्फ उनके गांव का बल्कि आसपास के अन्य पिछड़े गांवों को भी मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करें।

अपने कायाकल्प के लक्ष्य की ओर बढ़ चुका है चैन पुरवा, अगले सप्ताह होंगी बड़ी उपलब्धियां

अगले सप्ताह एक बार फिर चैन पुरवा में एक समागम होगा कप्तान साहब ने गांव के लोगों को बताया है कि जिले के संवेदनशील और कर्मठ जिला अधिकारी डॉ आदर्श गांव में आएंगे और गांव को विकास के सभी अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे साथ ही जनपद की तेजस्वी मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती मेघा रूपम भी गांव के लोगों से सीधा संवाद करेंगी और उनकी अपेक्षाओं को विकास की गति प्रदान करेंगी।
ग्रामीणों को उम्मीद है कि अगले सप्ताह ऐसा समागम होगा जो ग्रामीण जीवन को दायित्व बोध स्वाभिमान और विकास के मार्ग पर और आगे बढ़ा देगा।

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