अमेरिका के राष्ट्रपति नें कहा भारत महत्वपूर्ण देश, ‘G7’ में शामिल हो तभी की जाएगी बैठक !

रिपोर्ट – आराधना शुक्ला

जून में होने वाले 46वें जी-7 शिखर सम्मेलन को सितंबर तक के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी-7 में और देशों को भी शामिल करने के संकेत दिए है। इसमें पहली बार भारत का भी नाम शामिल है।

गौरतलब है कि पहले यह सम्मेलन 10-12 जून को अमेरिका के कैम्प डेविड में होने वाला था।
अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि मौजूदा जी-7 समूह दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करता हैं। और वैसे भी यह समूह बहुत पुराना हो चुका है। ट्रम्प ने इस समूह में रूस, दक्षिण कोरिया,ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों को शामिल करने की इच्छा जताई है। जी-7 समूह में अमेरिका, इटली, जापान, कनाडा, फ्रांस जर्मनी और ब्रिटेन के अलावा यूरोपियन यूनियन शामिल है।

व्हाइट हाउस की रणनीतिक संचार निदेशक एलिसा अलेक्जेंड्रा फराह ने कहा कि अमेरिका की योजना अपने सभी पारंपरिक सहयोगियों को एक साथ लाने की है ताकि भविष्य में चीन से कैसे निपटना है इस पर चर्चा की जाए।
पिछले साल सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए थे शामिल- फ़्रांस में हुए 45वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल हुए थे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मेलन में शामिल होने के लिए विशेष तौर से आमंत्रित किया था। आमतौर पर इस सम्मेलन में शामिल होनें के लिए एक या दो देश को  विशेष आमंत्रण के तौर पर बुलाया जाता हैं। भारत के अलावा ईरान को भी न्योता देनें पर विचार चल रहा था किंतु परमाणु परीक्षण सम्बन्धी विवादों के चलते उसका निमंत्रण रद्द कर दिया गया था।

क्या है जी-7 समूह?

‘ जी-7’  सात उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं। यह अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे वर्ष 1975 में वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में गठित किया गया था।1977 से इस समूह में यूरोपियन संघ भी हिस्सा ले रहा है।1988 से जी-7 को जी-8 कहा जाने लगा था,जब इसमें रूस भी शामिल था। 2014 में रूस को क्रीमिया विवाद के बाद इस समूह से निष्कासित कर दिया गया था। 2019 में  आयोजित शिखर सम्मेलन में रूस को शामिल किए जाने पर विचार चल रहा था लेकिन इस मुद्दे पर सदस्यों की सामंजस्यता नहीं बन पाई थी। अब एक बार फिर रूस को शामिल किये जानें का प्रस्ताव दिया गया है।

भारत की तरफ से विशेष आमंत्रण के तौर पर शामिल  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों को गंभीरता से उठाया था। इसके अलावा भारत ने अपनी  प्रतिबद्धता  को दोहराते हुए जैव विविधता और महासागरों पर समर्पित शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लिया था।

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