21 साल की उम्र में कॉलेज में पढ़ने वाले तमाम शिक्षित युवा जिंदगी के हसीन सपने देखते हैं लेकिन इसी 21 की उम्र में अजय बिष्ट ‘ देशधर्म ‘की सेवा में नाथ संप्रदाय के सन्यासी हो गए और सुख सुविधा वाले जीवन की बजाय उन्होंने कठोर तपस्या और देशधर्म की सेवा के साथ कठोर जीवन के मार्ग पर चलने का बड़ा फैसला किया।
जीवन में अनुशासन को धारण करते हुए अन्याय का विरोध और न्याय के पक्ष में पूरे हठ के साथ अडिग रहना योगी आदित्यनाथ ने अपने स्वभाव में ग्रहण किया और फिर गोरक्ष पीठ वाले गोरखपुर की जनता ने उन्हें अपने हृदय में धारण किया और बारहवीं लोकसभा में मात्र 26 वर्ष की उम्र में वह देश के सबसे युवा सांसद हुए।
विषम परिस्थितियों में लोकसभा सदस्य रहते हुए उन्होंने प्रदेश में सत्ता प्रायोजित अराजकता और अनाचार का विरोध किया। हिंदू विरोधी राजनीति तुष्टीकरण और वोट बैंक की रणनीतियों का विरोध किया और विरोध झेला भी।
कई मुकदमों के अलावा तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में तपते हुए ऐसी चमक हासिल की, की 2014 में उन्हें गोरक्ष पीठ का पीठाधीश्वर बनाया गया क्योंकि राजनीति की व्यस्तता के बावजूद उन्होंने शीर्ष प्राथमिकता पर गोरख पीठ के हितों को रखा।
गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर बनने के बाद जनता में उनका विश्वास और ‘दृढ़’ हुआ और साथ ही देश प्रदेश की राजनीति में उनका व्यक्तित्व और सशक्त हुआ।
जब जन सामान्य में उनके व्यक्तित्व का विश्वास और विराट हुआ तो भारतीय जनता पार्टी ने भी उनके बढ़ते कद का अंदाजा लगाने में देर नहीं किया।
2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की बहुमत की सरकार में भारतीय जनता पार्टी ने सर्वसम्मति से उन्हें देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री का बड़ा दायित्व भी सौंपा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में, सरकार में अनुशासन इच्छा शक्ति और तीव्रगामी प्रशासन का आभास करा कर योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की जनता को मुख्यमंत्री पद के उस प्रभाव का एहसास कराया जिसकी वह कई वर्षों से कल्पना और प्रतीक्षा कर रही थी।
सरकार बनते ही महिलाओं और छात्राओं को परेशान करने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ ‘एंटी रोमियो स्क्वायड चलवाया’ भू माफियाओं के खिलाफ ‘एंटी भू माफिया’ अभियान चलाया मिलावट खोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई।
प्रदेश के इतिहास में पहली बार हजारों पेट्रोल पंप धांधली करने के आरोप में बंद हुए और प्रशासन के साथ-साथ समाज के हर क्षेत्र में सीएम योगी का ईमानदार संवेदनशील और कठोर अनुशासन का आभास कराने वाला व्यक्तित्व यूपी की जनता के दिलों को ‘स्पर्श’ कर गया।
सैकड़ों अपराधियों को एनकाउंटर मैं सरकारी गोलियों का स्वाद चखा के उत्तर प्रदेश की पुलिस ने भी यह संदेश दिया कि उनका नेतृत्व मजबूत इच्छाशक्ति वाले मुख्यमंत्री के हाथ में है जो कानून व्यवस्था के नाम पर कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं है। यह संयोग ही था कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी भी योगी के ही कार्यकाल में सामने आई और अपने पिता की अंत्येष्टि मे ना जाकर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के प्रति अपने ‘दायित्वबोध’ को गंभीरता से निभाते हुए बहुत ही कम समय में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं और आपदा राहत क्षमता को कई गुना बढ़ाकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने यह साबित किया कि कुशल नेतृत्व में बड़े से बड़े लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।
जिस उत्तर प्रदेश में शुरुआती दिनों में केवल कोविड-19 के 100 सैंपल ही जांचे जा रहे थे आज उसी उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 10000 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं और अगले 1 महीने के अंदर प्रतिदिन 20000 सैंपल जांचने का लक्ष्य योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को दिया हैl उत्तर प्रदेश में सबसे पहले 100000 से भी अधिक कोविड-19 मरीजों के इलाज की व्यवस्था विकसित कर ली है और आवश्यकता पड़ने पर इस क्षमता को बढ़ाने की भी तैयारी कर ली हैl
कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी को यह संदेश देने में सफल रहे हैं की पूरी ईमानदारी के साथ जनहित में काम करने के अलावा अब और कोई विकल्प नहीं है।