किसानों को धोखा: क्रय केंद्र से ज्यादा बाजार में गेहूं का दाम अधिकारियों नेताओं की लापरवाही!

बाराबंकी- ज्यादातर गेहूं क्रय केंद्रों पर इन दिनों सन्नाटा देख रहा है अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी गेहूं खरीद के लिए लगाई गई है लेकिन गेहूं खरीद की सारी व्यवस्था में केवल सरकारी पैसों की बर्बादी हो रही है क्योंकि ज्यादातर किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर जाना ही नहीं चाहते वह बाजार में ही अपना गेहूं बेचना चाहते हैं क्योंकि बाजार होली सरकारी मूल्य से अधिक है ऐसे में सरकार की समर्थन मूल्य नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं जाहिर सी बात है कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य बाजार मूल्य से भी कम घोषित किया है जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है और इसी के चलते उन्होंने क्रय केंद्रों को अलविदा कहकर बाजार में ही अपना गेहूं बेचने का फैसला किया है ।

अधिकारियों की गुजारिश के बाद भी गेहूं क्रय केंद्रों पर क्यों नहीं जा रहे किसान?

हैदरगढ़ सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं ना आने से चिंतत एफसीआई के केंद्र प्रभारी किसानों के खेतों में जाकर सरकारी केंद्र पर गेहूं लाकर बेचने की अपील कर रहे हैं फिर भी किसान क्रय केंद्रों की ओर नहीं आना चाहते।

किसानों को उनकी फसल का उचित समर्थन मूल्य मिल सके जिसके लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए हैं और सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया है जबकि आढ़तियों के यहां और खुले बाजार में किसानों को 21 सौ रुपए कहीं-कहीं 22सौ अथवा 23 सौ प्रति कुंटल की भी कीमत मिल जा रही है।

सरकारी क्रय केंद्रों पर 2015 के दाम पर किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं क्योंकि किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक बाहर बिचौलिए और मिलर्स खरीद रहे हैं जिसके चलते किसान सरकारी सेंटरों पर अपना गेहूं ले जाना अच्छा नहीं समझ रहे हैं।

जिसके चलते क्रय केंद्र प्रभारी सुबह से शाम तक किसानों के आने का इंतजार करते रहते हैं और एक भी किसान क्रय केंद्र पर गेहूं लेकर नहीं पहुंच रहा है। इसी के चलते आज हैदरगढ़ भारतीय खाद्य निगम के क्रय केंद्र प्रभारी अजय कुमार पांडे ने एक नई पहल शुरू की है। वह खुद सीधे किसानों के गेहूं के खेत में जाकर किसानों से सीधा संवाद करके क्रय केंद्र पर लाकर सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने की अपील कर रहे हैं। जिससे किसानों को सरकार की मंशा के अनुरुप उनकी फसल का उचित मूल्य सके लेकिन यदि इस पहल के बाद भी किसान अपना गेहूं लेकर क्रय केंद्रों पर नहीं बेचने पहुंच रहे हैं तो फिर सरकार का निर्धारित गेहू लक्ष्य किस तरह पूरा होगा यह सोचकर संबंधित विभागों के अधिकारी परेशान हैं दबी जुबान में सरकारी विभागों से जुड़े लोग भी आ कर रहे हैं कि समर्थन मूल्य को और बढ़ाने की जरूरत है जिससे किसान केंद्रों की ओर आकर्षित हो सकें।

वही किसान नेताओं का यह मानना है कि जिस तरह से देश में महंगाई बढ़ रही है और फसलों की लागत बढ़ रही है मजदूरी और डीजल की कीमत बढ़ रही है उसके हिसाब से सरकार ने समर्थन मूल्य में पर्याप्त वृद्धि नहीं की है सरकार को गेहूं का समर्थन मूल्य बाजार मूल्य से कम से कम ₹200 अधिक देना चाहिए तभी किसान सरकारी क्रय केंद्रों की ओर आकर्षित होंगे।

द इंडियन ओपिनियन
मो० शकील
बाराबंकी

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