केजीएमसी से MBBS, लखनऊ का वैभव छोड़ दशकों से कर रहे ग्रामीणों की सेवा, नाम है डॉक्टर समर सिंह वर्मा!

राजनीति के मैदान में इस समय दावेदारों की भीड़ लगी हुई है हर कोई खुद को जनता का सबसे बड़ा शुभचिंतक बता रहा है और हजारों की संख्या में लोग लखनऊ की विधानसभा में पहुंचकर नीति निर्माता और वीआईपी बनने के लिए बेताब हैं लेकिन सियासत के “समर” में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने वाकई में अपना जीवन गरीबों के लिए अर्पित किया है ऐसे ही एक समाजसेवी हैं बाराबंकी के डॉक्टर समर सिंह वर्मा जिन्होंने लखनऊ का आरामदेह जीवन सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह डॉक्टर बनकर क्षेत्र के गरीबों की सेवा करना चाहते थे।

डॉक्टर बनने के बाद पैसे कमाने को नहीं दिया महत्व ग्रामीणों की सेवा का लिया संकल्प:

1978 में एमबीबीएस की शिक्षा पूरी की और डॉक्टर बने उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मेडिकल अफसर बनने का भी मौका मिला चाहते तो सरकारी मेडिकल अधिकारी बनकर सीएमओ और मेडिकल डायरेक्टर जैसे बड़े पदों पर रहकर खूब पैसा कमाते और प्रशासनिक ताकत का भी आनंद लेते लेकिन डॉक्टर समर सिंह वर्मा ने ग्रामीण जनता की सेवा का संकल्प लिया और लखनऊ छोड़कर 1978 में ही बाराबंकी के ग्रामीण क्षेत्र में अपना क्लीनिक खोल के लोगों की सेवा में जुट गए ।

राष्ट्रभक्त परिवार के संस्कारों का कर रहे हैं निर्वहन:

फतेहपुर तहसील क्षेत्र के साढेमऊ गांव के निवासी समर सिंह वर्मा एक देशभक्त परिवार से जुड़े हैं उनके पिता क्षेत्र के प्रतिष्ठित किसान और समाजसेवी थे जो कि राष्ट्रीय आंदोलन से भी जुड़े थे उनके परिवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी अपना योगदान दिया। शुरू से ही राष्ट्र सेवा के संस्कारों में पले बढ़े डॉक्टर समर सिंह वर्मा ने फतेहपुर बाराबंकी जनपद से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद मेडिकल की पढ़ाई के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से प्रवेश हासिल किया और 1978 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद क्षेत्र के गरीब ग्रामीण परिवारों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फतेहपुर क्षेत्र को ही अपना कर्म स्थल बना लिया।

कुर्सी विधानसभा के गांव गांव में चिकित्सा सेवा के जरिए बनाया है मजबूत जनसंपर्क:

पूरे क्षेत्र में डॉक्टर समर सिंह वर्मा एक समाजसेवी और संवेदनशील चिकित्सक के रूप में ख्याति प्राप्त है। तमाम गांव में निशुल्क चिकित्सा शिविर लगवा चुके हैं और सामाजिक विषयों पर भी बढ़-चढ़कर अपना योगदान देते हैं । डॉक्टर समर सिंह वर्मा के परिवार में उनकी पत्नी और उनकी बहू फतेहपुर क्षेत्र से ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं और स्वयं वह 1991 में कैसरगंज क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं । उस जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह खुद उनका चुनाव प्रचार करने के लिए आए थे। शुरुआत में डॉक्टर समर सिंह वर्मा कम्युनिस्ट और समाजवादी विचारधारा से जुड़े थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से वह उनके प्रशंसक हैं और बीजेपी से जुड़ चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी की नीतियों को राष्ट्र हित के लिए मानते हैं आवश्यक:

डॉक्टर समर सिंह वर्मा बताते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने गुजरात को देश का अग्रणी राज्य बनाया वह वाकई में दूसरे मुख्यमंत्रियों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण था इसके अलावा जब प्रधानमंत्री बने तो पूरे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा और भारत की जनता में एक नए मनोबल का संचार हुआ ।आज मोदी जी के नेतृत्व में सभी क्षेत्रों में देश विकसित हो रहा है सशक्त हो रहा है ।डॉक्टर समर सिंह वर्मा कहते हैं कि मोदी जी की ही नीति पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रदेश में गुंडों माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाते हुए उत्तर प्रदेश को देश का सबसे सक्षम और विकसित प्रदेश बनाने के अभियान में जुटे हुए हैं इन्हीं बातों से प्रभावित होकर वह पिछले कई वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के लिए गांव-गांव में जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और लोगों को भाजपा की राष्ट्रवादी नीतियों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं ।

BJP से विधायक बन कर जीवन के अनुभव का जनहित में करना चाहते हैं सदुपयोग:

वर्तमान में डॉक्टर समर सिंह वर्मा कुर्सी विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत हैं और वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट के प्रति आशान्वित हैं। उन्हें उम्मीद है कि उनके राजनीतिक सामाजिक अनुभव समाज सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान और क्षेत्र के गांव गांव में मौजूद उनके जनसंपर्क को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी उन्हें जरूर एक अवसर प्रदान करेगी।

द इंडियन ओपिनियन, बाराबंकी

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