कोविड-19 इलाज सरकारी अस्पताल में ही बाध्यकारी क्यों? लोगों को निजी अस्पतालों में भी इलाज की स्वतंत्रता होनी चाहिए!

Public Opinion by Deepak Mishra

देश की सरकार को स्वास्थ्य बीमाधारकों और सक्षम व इच्छुक लोगों के लिए निजी अस्पतालों को कोविड-19 इलाज की अनुमति देनी चाहिए इसमें सरकारी तंत्र की भी बेहतरी है और सरकारी कोविड-19 अस्पतालों पर से अनावश्यक बोझ भी कम होगा ,निजी मेडिकल व्यवसाय की सुस्ती भी दूर होगी बेरोजगारी का खतरा भी कम होगा!
दबी जुबान में तमाम सरकारी और निजी डॉक्टरों की यही राय है इसके अलावा तमाम नागरिक भी ऐसा चाहते हैं कि सरकार देश के सभी योग्य निजी अस्पतालों को कोविड-19 का इलाज करने की अनुमति दें।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि संभावना है कि कोविड-19 का प्रकोप लंबे समय तक रहेगा और संक्रमित लोगों की संख्या में अभी और वृद्धि होगी!
अब जब भारत में तेजी से यह संक्रमण बढ़ता जा रहा है तो क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पतालों की बदहाली की सच्ची झूठी खबरों से भी लोग घबराए हुए हैं, लोगों का घबराना लाजमी भी है क्योंकि जैसे-जैसे संक्रमितओं की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे कोविड-19 के लिए तैयार किए गए अस्पतालों पर बोझ बढ़ेगा और डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर भी शारीरिक और मानसिक दबाव बढ़ेगा जिसके बाद इलाज और देखरेख की गुणवत्ता सुनिश्चित हो पाना भी मुश्किल हो जाएगा।

ऐसे में लोगों के दिलों में सरकार से एक बड़ा सवाल उमड़ रहा है और सवाल यह है कि देश में बड़ी संख्या में मौजूद निजी अस्पतालों की सेवाएं कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार क्यों नहीं ले रही है?  जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम है  उन्हें कोविड-19  के इलाज के लिए निजी अस्पतालों की सुविधा क्यों नहीं मिलती?

यह बात लोगों की समझ से परे है की जो लोग अपने इलाज का खर्चा उठा सकते हैं उनका भी बोझ उठाने की जिद में सरकार सरकारी स्वास्थ्य ढांचे पर अतिरिक्त बोझ क्यों बढ़ा रही है जबकि देश में गरीबों के ही बहुत बड़ी संख्या है जो अपने इलाज का खर्चा नहीं उठा सकते हैं और जिनका सरकारी अस्पतालो के अलावा दूसरा सहारा नहीं है।

भारत में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य बीमा धारक लोग है जिन्होंने स्वास्थ्य बीमा की किस्त चुका कर अपने और अपने परिवार के इलाज के लिए सुविधा ले रखी है ऐसे लोग बीमा के जरिए इलाज का भुगतान करने में सक्षम है इसके अलावा देश में लगभग 40% जनसंख्या ऐसी है जो निजी अस्पतालों में इलाज कराना सरकारी अस्पतालों की तुलना में बेहतर मानती है और अपनी आर्थिक क्षमता के जरिए निजी अस्पतालों में ही इलाज कराना चाहती है।

जानकारों के मुताबिक  देश की लगभग 50 फ़ीसदी आबादी इस योग्य है कि वह सरकारी अस्पतालों में नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में इलाज कराना बेहतर समझती है और निजी अस्पतालों के इलाज का खर्चा भी अपने संसाधनों से या फिर बीमा के जरिए वाहन कर सकती है।

ऐसे लोग यह चाहते हैं कि सरकार उन्हें कोविड-19 के जांच और इलाज की सुविधा क्वॉरेंटाइन की सुविधा निजी अस्पतालों के माध्यम से उपलब्ध कराने का रास्ता खोल दे क्योंकि वह इन सेवाओं में गुणवत्ता चाहते हैं  और गुणवत्ता का पूरा भरोसा चाहते हैं।

जो भी व्यक्ति सरकारी अस्पताल में इलाज कराना चाहे उनके लिए सेवाएं उपलब्ध होना चाहिए और कमजोर वर्ग के लिए खास तौर पर सरकारी सेवाएं बेहतर स्थिति में उपलब्ध हों लेकिन जो लोग निजी अस्पतालों का खर्च आसानी से उठा सकते हैं और निजी अस्पतालों में जाना चाहते हैं उन्हें जबरदस्ती सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए उनकी इच्छा के विरुद्ध बाध्य करना करना किसी भी तरीके से समझदारी की बात नहीं कही जा सकती, जबकि देश में तमाम निजी अस्पताल मौजूद हैं जिनके पास पर्याप्त संसाधन है जो कि इस संकट की घड़ी में योगदान दे सकते हैं।

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