mosbetlucky jetmostbetmosbetlucky jetparimatchaviatoraviatoronewin casinomostbet azmosbet1 winlucky jet casino4rabetmostbet aviator login4x bet1win casinopinup login1winlucky jet crash1winpinup kzmostbet casinopinup login1win slotsmostbetpin upmostbet kz1 win1win uzmostbet casino1win4r bet1 win kzlacky jetpin up 777mosbet aviatorpin upmostbetparimatch1 win1 winpin-upmostbet onlinepin-upmostbetpin up az1 win4rabet bd1win aviatorpin up azerbaycan

क्या ईसाइयों और मुसलमानों के बीच बिगड़ते रिश्तो का सबब है स्वीडन के दंगे!

रिपोर्ट : आनन्द मिश्रा,

ईसाई और मुसलमान इस धरती की दो सबसे बड़ी आबादी, पूरी दुनिया में ईसाइयों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है और दूसरे नंबर पर मुसलमानों की जनसंख्या, लेकिन ऐसा लग रहा है कि रिश्ते बिगड़ रहे हैं

पिछले सैकड़ों वर्षो में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच बहुत सी लड़ाई लड़ी गई हैं लेकिन पिछले कुछ दशकों से सभ्यता के विकास के साथ ही दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों ने शांति और आपसी सामंजस्य को ज्यादा महत्व दिया है। दुनिया में लोकतंत्र के विकास के साथ ही मताधिकार और जनसंख्या की ताकत को मजहबी रंग देने की कोशिश की जा रही है, दुनिया के लगभग हर देश में नस्ल जाति धर्म और मजहब को सियासी हथियार बनाया जा रहा है और इसी के साथ क्षेत्रों की सत्ता और आर्थिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए जनसंख्या को एक हथियार बनाकर वोट बैंक की गोलबंदी के जरिए राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की जा रही है।

सियासी कहीं धार्मिक चोला पहने हुए हैं तो कहीं धार्मिक मजहबी नेता सियासी चोला पहन कर आ रहे है। अलग-अलग देशों में बहुत से नेता जनता को मोहरा बना रहे हैं यह खेल दुनिया के लगभग हर हिस्से में हो रहा है और इसीलिए पिछले कुछ दशकों में दुनिया के बहुत से देशों बहुत से प्रदेशों में आबादी का संतुलन बदल गया है बिगड़ गया है।
प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों पर कब्जे को लेकर पहले से ज्यादा संघर्ष हो
रहे हैं और यह संघर्ष  वर्गों के बीच  अलग-अलग संस्कृति और धर्म मजहब के मानने वालों के बीच हो रहे हैं।

स्वीडन में पिछले कुछ दशकों में मुस्लिम आबादी के विकास और वृद्धि से वहां के बहुसंख्यक ईसाई मूल निवासियों में असंतोष फैला और कुछ कट्टरपंथी ईसाइयों ने देश के कई हिस्सों में मुसलमानों के बढ़ते वर्चस्व का विरोध शुरू किया प्रतिक्रिया में कट्टरपंथी मुसलमानों ने वहां के मुस्लिम समाज को हिंसा के लिए उकसाया और स्वीडन जल उठा।

बताया जा रहा है  स्वीडन में ईसाई और मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों के बीच हिंसक संघर्ष इसलिए हुआ क्योंकि दोनों पक्षों ने एक दूसरे की  पवित्र धार्मिक पुस्तकों को जला दिया यह भी कहा जा रहा है कि पहले ईसाइयों के द्वारा कुरान जलाई गई और उसके बाद मुसलमानों के द्वारा बाइबिल जलाई गई। ऐसा अचानक नहीं हुआ वहां ईसाइयों और मुसलमानों के बीच दूरियां और गलतफहमियां बढ़ती जा रही हैं दोनों वर्गों के समझदार लोग हाशिए पर हैं और हिंसक मानसिकता वाले लोग अपने अपने समाज में मजबूत होते जा रहे हैं।

मामले में जांच चल रही है  सही तथ्य अभी मीडिया को भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं यह नहीं कहा जा सकता किस पक्ष  की कितनी गलती है किसने हिंसा की पहल की ,कुछ दिनों में हालात स्पष्ट होंगे। लेकिन यह जरूर  स्पष्ट है  की स्वीडन के सामाजिक अनुशासन को सुनियोजित रूप से बिगाड़ा जा रहा है  जिसकी कीमत सभी को चुकानी पड़ेगी  और जिस तरह  हिंसा की प्रवृत्ति  समाज में बढ़ रही है उसके बाद दुनिया के बहुत से देशों में आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है।

जिस तरह के हालात हैं ऐसे में दुनिया के किसी भी देश मैं जहां मिली जुली जनसंख्या है वहां दंगे करवा देना लोगों को सरकार के खिलाफ गुमराह करके शहरों को जलवा देना, हजारों लोगों का कत्लेआम करवा देना यह कट्टरपंथी और आतंकी मानसिकता के लोगों का अपना प्रभाव बढ़ाने का घटिया सिद्धांत बन चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *