उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जनपद गन्ना बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते इसे चीनी का कटोरा कहा जाता है। जनपद में 10 चीनी मिल स्थापित हैं लेकिन वर्तमान में पाच चीनी मिल बन्द पड़े हैं। जिसके चलतें आज गन्ने की समस्या से किसान जुझ रहा हैं। एक तरफ गन्ने का उचित मुल्य नही मिल रहा तो वही चीनी मिलो पर किसानों का एक सौ छत्तीस करोड़ के लगभग गन्ने का भुगतान बकाया हैं जिसके चलते किसानो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
गन्ने के फसल भरोसे यहा के किसानो का भरण पोषण होता हैं। लेकिन चीनी मिलो के रवैयें व मौसम की मार से धरती का अन्नदाता किसान आज जुझ रहा हैं। इन किसानों का दर्द ना तो यहां कोई अधिकारी समझ रहा है ना ही कोई जनप्रतिनिधि ऐसे में यह किसान जाएं तो जाएं कहां और अपनी पीड़ा कहे तो किससे कहे।
जब इनकी आवाज को कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ तो वह खुद अपनी आवाज बन कर अपना दुखड़ा सुनानें सूखे गन्ने का गट्ठर लेकर तहसील मुख्यालय कप्तागंज पहुंच गए और इन्होंने तहसील प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से बताया की किस तरह अपनी गाढ़ी कमाई व कर्ज लेकर गन्ने के उपज पैदा करने में लगा दिया।
लेकिन मौसम की मार से जब खड़े गन्ने की फसल सूख गई तो इनकी कमर ही टुट गयी। बच्चों की पढ़ाई से लेकर कॉपी किताब स्कूलों की फीस और भरण पोषण की तमाम व्यवस्थाएं किसानो की इसी गन्ना के फसल पर टिकी हुई हैं, लेकिन यहा गन्ना खेत में ही सूख गया है कुछ किसान तो यहां तक कह रहे हैं कि आत्महत्या करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है।
लेकिन इनका दर्द कोई सुनने जानने वाला नही है। किसानों नें बताया की हम छोटे किसानो का गन्ना खेत में सुखनें से कर्ज में डुब गयें हैं। लेकिन न तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा न ही शासन प्रशासन से मदद मिल रही है।
वहीं जिला गन्ना अधिकारी ने द इंडियन ऑपिनियन को बताया कि चीनी मिलों से वार्ता करके किसानों का बकाया भुगतान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है