‘जन मन की बात’ जहाज भेज कर विदेशों से लाए, धनी विद्यार्थियों के लिए बसे भेज रहे, मजदूरों का क्या होगा?

रिपोर्ट – देवव्रत शर्मा

कोरोनावायरस को लेकर चल रहे सरकारी इंतजामों के बीच तमाम तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों के जरिए लोग सरकार पर अमीर गरीब में फर्क और भेदभाव का भी आरोप इशारों में लगा रहे हैं पूर्व सीएम  अखिलेश यादव ने ट्वीट कर यह संदेश दिया कि कोटा से छात्रों को लाया जा रहा है यह अच्छी बात है लेकिन प्रवासी मजदूरों की भी व्यवस्था की जाए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इसी तरह ट्वीट करके सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।

इसके अलावा सोशल मीडिया पर तमाम ऐसे संदेश लोगों के द्वारा भेजे जा रहे हैं जिनमें यह सवाल खड़ा किया गया है कि जब सरकार शुरुआती दौर में हवाई जहाज भेजकर विदेशों से लोगों को बुला सकती है और कोटा में पढ़ने वाले धनी परिवारों के विद्यार्थियों के लिए सैकड़ों रोडवेज की बसें लगाई जा सकती हैं तो फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार क्यों नहीं कर रहीl  अप्रत्यक्ष रूप से लोग यह संदेश देना चाह रहे हैं कि धनी और प्रभावशाली लोगों की ज्यादा सुनवाई होती है, ट्विटर चलाने वाले छात्रों ने ट्विटर पर संदेश भेजकर सरकार से मदद हासिल कर ली।

लेकिन साधारण मोबाइल या बिना मोबाइल के रहने वाले गरीब मजदूरों को पैदल और साइकिल से लंबी यात्राएं करनी पड़ी।

लॉक डाउन बढ़ने के बाद देश के कई हिस्सों से यह खबर आई कि मजदूर बेहाल हैं परेशान है और उनका धैर्य जवाब दे रहा है क्योंकि वह जहां रुके हैं वहां उन्हें न्यूनतम सुविधाएं आसानी से नहीं मिल पा रही है भोजन की भी दिक्कत हो रही है।

ऐसे में सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि देश में जहां भी प्रवासी मजदूर हैं उन्हें उनके गांव घर तक पहुंचाया जाए क्योंकि अपने गांव और घर के निकट रहकर वह आसानी से अपनी और अपने परिवार की मदद का इंतजाम कर सकते हैं।

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिछले दिनों दिल्ली बॉर्डर पर परेशान मजदूरों के लिए 1000 बसें लगाई गई थी उनके इस कार्य की प्रशंसा भी हुई थी इसीलिए लोगों को उम्मीद है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे यूपी के प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ व्यवस्थाएं करेंगे।

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