जब देश मुश्किलों में हो, प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके जन्मदिन के दिन भी, उग्र विरोध क्या उचित है!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70 वें जन्मदिन के दिन देशभर में कुछ विपक्षी दलों ने उग्र विरोध प्रदर्शन करवाया युवाओं को बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़क पर लाने की कोशिश हुई थोड़ी बहुत संख्या में राजनैतिक कार्यकर्ता इकट्ठे भी हुए हालांकि साधारण युवा इस प्रदर्शन से दूर रहा।
  पूरी दुनिया कोरोना आर्थिक मंदी बेरोजगारी से जूझ रही है आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की समस्या इस समय सिर्फ भारत में ही नहीं है दुनिया के तमाम विकसित देशों में भी है लेकिन भारत में महामारी और गंभीर समस्याओं के दौर में भी गैर जिम्मेदाराना राजनीति हावी है।

चीन और पाकिस्तान की सीमा पर युद्ध जैसे हालातों के बावजूद कुछ राजनीतिक दल इस मौके में भी सियासी मुनाफे के अवसर तलाश रहे हैं। जब देश में 50 लाख से भी ज्यादा लोग गंभीर बीमारी का संक्रमण झेल रहे हैं लाखों की संख्या में लोगों को सरकार बेहतर इलाज देने के प्रयास में जुटी है कोविड-19 के नियंत्रण में प्रतिदिन देश में अरबों रुपए केवल इसी विषय पर खर्च हो रहे हैं, क्योंकि अधिकांश कोविड-19 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में निशुल्क प्रणाली के तहत ही किया जा रहा है वहां उन्हें भोजन नाश्ता दवाएं सभी सुविधाएं निशुल्क सरकार के खर्च पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके चलते सरकारी खजाने पर बुरा असर पड़ा है कोविड-19 से जूझने में सरकार की आर्थिक सेहत बिगड़ रही है।

  इस मौके पर पर जबकि कोविड-19  की लड़ाई चरम पर है वैक्सीन अभी उपलब्ध नहीं है ऐसे में जब देश के नागरिकों की जीवन रक्षा का विषय सबसे बड़ा विषय है। इस मौके पर युवाओं को बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे पर के लिए सड़कों पर आने के लिए उन्हें गुमराह करना कितना उचित है यह सोचने की जरूरत है।

यह भी ध्यान देने की जरूरत है की पिछले 40 सालों में सरकारों की गलतियों के चलते देश की जनसंख्या देश की क्षमताओं और संसाधनों की तुलना में 3 गुना बढ़ चुकी है। यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत दुनिया का वह देश है जहां सबसे कम भूभाग में सबसे ज्यादा लोग रहते हैं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को सारी सुविधाएं मुहैया कराना करोड़ों लोगों को निशुल्क खाद्यान्न मुहैया कराना करोड़ों लोगों को किसान सम्मान राशि, विधवा दिव्यांग पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन जैसी सुविधाएं देना और उसी समय चीन और पाकिस्तान जैसे परमाणु संपन्न देशों से देश की रक्षा करना सीमाओं पर भारी फौज का जमावड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर के आधुनिक हथियारों मिसाइलों लड़ाकू विमानों की व्यवस्था करना और साथ ही साथ देश के लाखों नागरिकों को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाने के लिए निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं क्षमताओं में 10 गुना वृद्धि करना यह सब कुछ एक साथ ही किया जा रहा है।

भारत विश्व में सर्वाधिक निशुल्क कोरोना जांच और इलाज करने वाले देशों में है और जाहिर सी बात है कि इसकी वजह से देश में सरकार को सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना ज्यादा धन खर्च करना पड़ रहा है और उस समय जबकि सरकार की आय में कई गुना कमी हो चुकी है देश के सामने ऐतिहासिक संकट की इस घड़ी में ज्यादा से ज्यादा नागरिकों के जीवन को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाना लोगों को भुखमरी से बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता है। इस नाजुक घड़ी में यदि देश के युवाओं को सड़क पर आ कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए उकसाया जाए किसानों को प्रदर्शन के लिए उकसाया जाए तो देश की समस्या और ज्यादा बढ़ जाएंगी l कम से कम अगले कुछ महीनों के लिए जब तक कोरोना संक्रमण और सीमा पर सुरक्षा के सरकार से देश निबट नहीं लेता है तब तक देश के नेताओं को जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए और खास तौर पर देश के युवाओं देश के नागरिकों को जरूर यह समझना चाहिए कि इस समय हालात कितने गंभीर हैं।

संकट की इस घड़ी में देश की व्यवस्थाओं को सही दिशा में ले जाने के लिए देश का नेतृत्व कर रहे बहुमत से चुने हुए प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने का यह उचित समय नहीं है इस समय सरकार और प्रधानमंत्री का साथ देने का वक्त है कुछ महीनों बाद जब देश “स्वस्थ” होगा सुरक्षित होगा तब जरूर राजनीतिक फायदों के लिए कोई भी प्रदर्शन किया जा सकता है कई राज्यों में चुनाव नजदीक है सत्ता परिवर्तन का दौर निकट है मर्यादाओं का पालन जरूरी है सत्ता प्राप्ति का प्रयास राजनैतिक दल अपना पहला धर्म मानते हैं लेकिन उन्हें देश हित को अपना पहला धर्म मानना चाहिए l लोकतंत्र में सशक्त विपक्ष बहुत आवश्यक है सरकार के  गलत कार्यों का विरोध भी जरूर होना चाहिए लेकिन विपक्ष को सशक्त होने के साथ-साथ जिम्मेवार होना चाहिए, देश के नाजुक हालातों को ध्यान में रखकर सियासी रणनीतियों पर काम करना चाहिए क्योंकि अंततः देशहित ही सबका हित है!

आलेख – दीपक मिश्रा,

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