तस्करी के लिए कुख्यात इस गांव के लोग अब पुलिस का हाथ पकड़ चले आत्मनिर्भरता की ओर!

भारत में वन्यजीव अपराध नियंत्रण से जुड़ी एजेंसियों के लिए उत्तर प्रदेश के 3 गांव लंबे समय से चिंता का विषय रहे हैं। क्योंकि इन गांव के अधिकांश परिवार पारंपरिक रूप से दुर्लभ वन्यजीवों की सामूहिक हत्या और उनकी तस्करी के अपराध में लिप्त है।

उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले 17 दुर्लभ कछुआ की प्रजाति संकट में


कंजर समुदाय के यह गिरोह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करों के नेटवर्क से जुड़े हैं और उनकी सप्लाई चेन में अहम भूमिका निभाते हैं। यमुना और गोमती नदी की मंद धाराओं में पाए जाने वाले दुर्लभ कछुआ (टर्टल्स) की दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में उनके मीट और उनके ऊपरी आवरण (केल्पी) के लिए ऊंची कीमत पर भारी मांग रहती है।

बंगाल के तस्करों से मिले हुए हैं कंजर समुदाय से जुड़े तस्कर


अक्सर हजारों की संख्या में इन दुर्लभ वन्यजीवों को नदियों से शिकार करके गोपनीय रूप से बंद गाड़ियों में पश्चिम बंगाल के हावड़ा और मालदा के तस्करों को पहुंचा दिया जाता है जहां से बांग्लादेश और समुद्री मार्गों के जरिए भारत की दुर्लभ प्राकृतिक संपदा विदेशों को पहुंचा दी जाती है।

एजेंसियों के टारगेट पर रहे हैं यूपी के तीन कुख्यात गांव

उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद का मालवीय नगर सुल्तानपुर का पकरी गांव और अमेठी के जगदीशपुर का आदर्श नगर मोहल्ला कंजर समुदाय के ऐसे पेशेवर तस्करों का गढ़ माना जाता है जो कई दशकों से दुर्लभ वन्यजीवों के बड़े दुश्मन बने हुए हैं और वन्यजीव तस्करी ही उनकी आय का प्रमुख स्रोत है । पुलिस और एसटीएफ के टारगेट पर उत्तर प्रदेश के यह तीन कुख्यात गांव लंबे समय से रहे हैं।
आए दिन इन तीनों गांव और मोहल्लों में पुलिस और एसटीएफ की छापेमारी होती रहती है लोगों के घरों की तलाशी होती है वह कई बार रंगे हाथों प्रतिबंधित वन्यजीवों के साथ या फिर उनके अवशेषों के साथ पकड़े जाते हैं और जेल जाते हैं।

पुलिस प्रशासन के सहयोग से अब बदल रही है चर्चित पकरी गांव की दशा और दिशा।

सुल्तानपुर जनपद में प्रयागराज हाईवे के किनारे स्थित पकरी गांव वैसे तो जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन बावजूद इसके यह लंबे समय से वन्यजीव अपराध के दलदल में फंसा हुआ है। इस गांव के बहुत से लोगों को इन अपराधों की संवेदनशीलता का ज्ञान नहीं है । इन्हें लगता है कि यह पारंपरिक रूप से कंजर समाज का हिस्सा हैं इसलिए जानवरों को मारकर खाना और जानवरों को बाजार में बेचना जानवरों को सुदूर क्षेत्र के तस्करों को बेचना इनके लिए कोई गंभीर विषय नहीं है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में लोग यह समझ गए हैं कि जानवरों को तस्करों के हाथों बेचना एक गंभीर अपराध है लेकिन उचित मार्गदर्शन और रोजगार के सही तंत्र से न जुड़ पाने की वजह से यह लोग कछुआ और अन्य वन्यजीवों की तस्करी से जुड़े रहे हालांकि पिछले कुछ दिनों से यह खुद को बदलाव के एक सकारात्मक वातावरण से जुड़ता हुआ महसूस कर रहे हैं ।

सुल्तानपुर के नए पुलिस कप्तान ने शुरू किया बदलाव का मिशन कायाकल्प।

ऐसा इस वजह से हुआ है क्योंकि उत्तर प्रदेश की सरकार ने सुल्तानपुर जनपद में पुलिस विभाग की कमान आईपीएस डॉ अरविंद चतुर्वेदी को सौंपी है जो लंबे समय तक यूपी एसटीएफ में वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल की जिम्मेदारी निभा चुके हैं उन्हें सर्विलांस के साथ-साथ वन्यजीव तस्करी से जुड़े अपराधों को नियंत्रित करने का अच्छा अनुभव और विशेषज्ञता है ।

सुल्तानपुर जनपद में पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभालने के बाद डॉ अरविंद चतुर्वेदी ने पकरी गांव में कई दशकों से फैले “अपराध के कुटीर उद्योग” के उन्मूलन का संकल्प लिया।
वहां के कई परिवार पारंपरिक रूप से वन्यजीव तस्करी में लिप्त हैं यह बात उन्हें यूपी एसटीएफ में रहते हुए ही पता थी और जब उन्हें सुल्तानपुर जनपद में काम करने का मौका मिला तो उन्होंने इस गांव के लोगों से व्यक्तिगत संपर्क करके उन्हें वन्यजीव के अपराधों की गंभीरता से अवगत कराया उन्हें अपराधों से होने वाले प्राकृतिक और सामाजिक नुकसान से अवगत कराया साथ ही उन्हें यह भी बताया कि अपराधों की वजह से उन्हें जेल जाना पड़ता है सजा भुगतनी पड़ती है जिसकी वजह से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उनका और उनके परिवारों का उनके बच्चों का ही नुकसान होता है।

डीएम और सीडीओ के नेतृत्व में कई विभागों ने गांव के सैकड़ों परिवारों को दिया योजनाओं का लाभ।


पकरी गांव में गरीबी और अशिक्षा के चलते बहुत से परिवार वन्यजीव तस्करी को आसान काम समझते हैं इस समस्या का निराकरण करने के लिए एसपी सुल्तानपुर ने डीएम सुल्तानपुर और मुख्य विकास अधिकारी सुल्तानपुर से संपर्क किया और जिला प्रशासन के सहयोग से गांव में सभी विभागों का कैंप लगाकर गांव के 59 बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन 47 महिलाओं को विधवा पेंशन
522 युवाओं को मनरेगा जॉब कार्ड
239 लोगों को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण
7 परिवारों को लघु उद्योग और व्यापार के लिए सब्सिडी के साथ लोन और
39 परिवारों को आयुष्मान योजना का लाभ दिलाया गया।

इसके अलावा पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर लखनऊ के कुछ सेवा प्रदाताओं से संपर्क करके गांव के 35 युवाओं को हमेशा अपराधों से दूर रहने का संकल्प दिलाते हुए उन्हें लखनऊ में स्मार्ट स्वीपर का कार्य दिलाया कई लोगों को आरडीएसओ में काम दिलाया और लखनऊ में उनके रहने की व्यवस्था भी कराई इतना ही नहीं पुलिस अधीक्षक ने संवेदनशीलता दिखाते हुए एक परिवार को अपने वेतन से ₹15000 नगद प्रदान करके हाईवे पर उनके दुकान मैं फ्रिजर और कोल्ड ड्रिंक का स्टॉक खरीदने में मदद की जिससे वह आत्मनिर्भर हो सकें

आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान से चल रहे हैं अपराध में उलझे गांव के लोग


अब इस गांव का माहौल बदल रहा है अब यहां सकारात्मकता की बयार चल रही है पहले यहां खाकी वर्दी वाले आते थे तो लोग दहशत के मारे दरवाजे बंद करते थे घरों से भागकर छिप जाते थे क्योंकि उन्हें डर था कि उनके आपराधिक पृष्ठभूमि की वजह से पुलिस उन्हें पकड़ लेगी लेकिन अब यहां पुलिस आती है तो गांव के लोग आगे बढ़कर पुलिस का स्वागत करते हैं क्योंकि पुलिस उन्हें जीवन का एक नया दृष्टिकोण समझा रही है उन्हें मान सम्मान स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता से जोड़ रही है।

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