दीपावली विशेष: एक पंथ दो काज से साध रहे पीएम के लोकल फ़ॉर वोकल नारे को!

◆प्रधानमंत्री के लोकल फ़ॉर वोकल नारे को चरितार्थ कर रहा सरकारी विद्यालय

◆ सरकारी स्कूल अटवटमऊ ने पीएम के लोकल फॉर वोकल के नारे को किया सच

◆ कुम्हार से दियों को लेकर कर रहे डेकोरेट, दीपावली पर लोगों में बिखेर रहे खुशियां

बाराबंकी: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली से पहले लोकल फॉर वोकल का नारा एकबार फिर बुलंद किया है। इसी क्रम में जनपद के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों और बच्चों ने भी अनूठी पहल की है। इस स्कूल के शिक्षक कुम्हारों से दिये खरीदकर उसे बच्चों से डेकोरेट करा रहे हैं। साथ ही वेस्ट मैटेरियल जैसे मिठाई के डिब्बों और चॉकलेट के डिब्बों को सजाकर उसमें दिये रख रहे हैं। फिर उसे गांव में लोगों को दिये जा रहे हैं। शिक्षकों और बच्चों की इस पहल से कुम्हार तो खुश हैं ही, साथ ही गांव के लोग भी काफी उत्साहित हैं। स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि इस पहल में बच्चे काफी खुशी से अपनी भागीदारी निभा रहे हैं, साथ ही गांव के लोग भी इसे खुशी-खुशी ले रहे हैं। साथ ही कुम्हारों की आय भी इससे बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि वह उत्पादन जिसमें देशवासियों का पसीना है, जिस उत्पादन में देश की मिट्टी की सुगंध है, वह लोकल है। एक बार अगर हमारी आदत बन जाएगी देश की निर्मित चीजों को खरीदने की तो उत्पादन भी बढ़ेगा, रोजगार भी बढ़ेगा। गरीबों को काम भी मिलेगा और यह काम हम सब मिलकर कर सकते हैं। सभी के प्रयास से बहुत बड़ा परिवर्तन हम लोग ला सकते हैं। पीएम की इसी मुहिम में बाराबंकी के दोवा विकासखंड का कंपोजिट विद्यालय अटवटमऊ काफी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहा है। यहां के शिक्षक और बच्चे कुम्हारों से दीये खरीदकर पहले उसे डेकोरेट कर रहे हैं, फिर बाकायदा खूबसूरती से तैयार किये गये बॉक्स में उन दीयों को रखकर गांव के लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इन आकर्षक दीयों को गांव के लोग भी काफी खुश होकर खरीद रहे हैं। शिक्षकों और बच्चों की इस पहल से कुम्हारों की आय भी बढ़ी है और पीएम का लोकल फॉर वोकल का नारा भी साकार हो रहा है।

कंपोजिट विद्यालय अटवटमऊ के शिक्षक अनुज श्रीवास्तव ने बताया कि दीपावली के उपलक्ष्य पर मिट्टी के दीये खरीदे गये और इन्हें बच्चों के हवाले कर दिया गया। स्कूल में लोकल फॉर वोकल एक्टिविटी के दौरान इन बच्चों ने अपने हाथों से इन दीयों को विभिन्न रंगों में रंगा और सजाया। दीयों को सजाने के बाद अब इन्हें गांव के लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। गांव के लोग काफी उत्साहित होकर इन दीयों को खरीद रहे हैं। यह दीये लोगों तक पहुंचाकर स्कूल के बच्चे और हम लोग स्वदेशी सामान अपनाने का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकल फॉर वोकर का सपना भी साकार हो सके और कुम्हारों की आय भी बढ़ सके।

शिक्षक का कहना है कि दीपावली पर बहुत सी विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल होता है। पटाखों को चलाकर प्रदूषण फैलाया जाता है, जबकि मिट्टी के दीये बनाने वालों की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। एक समय में इन्हीं दीयों से घर को रोशन किया जाता था। लोग फिर से इनकी तरफ अग्रसर हों और इनका अधिक से अधिक इस्तेमाल करें। इसलिए सभी को यही संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं स्कूली बच्चों ने बताया कि वह भी इस काम को करके काफी खुश हैं।

सरकारी स्कूल के शिक्षकों के इस सकारत्मक प्रयास से जहाँ बच्चों की कला एवं प्रतिभा का विकास हो रहा वही कुम्हारों के दिये को उचित मूल्य प्राप्त हो रहा इसके साथ ही एक सरकारी विद्यालय में इस तरह के क्रिया कलापो को देखकर ग्रामवासी भी खुश है और स्कूल के शिक्षकों के इस प्रयास की प्रशंसा करते नही थक रहे।

रिपोर्ट- नितेश मिश्रा

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