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पंजाब में कैप्टन ने पूरी टीम के साथ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शाम 4 बजकर 40 मिनट पर राज्यपाल बीएल पुरोहित को पूरे मंत्रिमंडल का भी इस्तीफा सौंपा। कैप्टन सांसद पत्नी परनीत कौर व बेटे रणइंदर सिंह के साथ करीब साढ़े चार बजे राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल काे सौंपा। वहीं, चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन में चल रही विधायक दल की बैठक खत्म हो गई है। वहां सर्वसम्मति से पंजाब में नया सीएम चेहरा, चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दे दिया गया है।
पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि पार्टी की परंपरा के मुताबिक नए सीएम का चेहरा सोनिया गांधी बताएंगी। यह प्रस्ताव विधायक ब्रह्म मोहिंदरा ने रखा। जिसका विधायक संगत सिंह गिलजियां, राजकुमार वेरका व अमरीक सिंह ढिल्लों ने समर्थन किया।
चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस भवन में करीब साढ़े पांच बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। कैप्टन अमरिंदर सिंह और एक अन्य विधायक मीटिंग में नहीं गए। कैप्टन के इस्तीफे के बाद अब यहां नए सीएम चेहरा चुनने पर मंथन हुआ। कांग्रेस विधायकों ने नए मुख्यमंत्री चुनने का फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया है। अगले मुख्यमंत्रियों की रेस में सुनील जाखड़, प्रताप बाजवा और सुखजिंदर रंधावा का नाम आगे है।
अमरिंदर ने कहा- मेरा फैसला आज सुबह हो गया था। मैंने कांग्रेस प्रेसिडेंट से सुबह बात की थी और कह दिया था कि मैं आज इस्तीफा दे रहा हूं। बात यह है कि यह पिछले कुछ महीनों में तीसरी बार हो रहा है जब दिल्ली बुलाया गया। मेरे ऊपर कोई शक है कि सरकार चला नहीं सकता, मैं शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं। 2 महीने में 3 बार आपने असेंबली मेंबर्स को दिल्ली बुला लिया। इसके बाद मैंने फैसला किया कि मै मुख्यमंत्री पद छोड़ दूंगा और जिन पर उन्हें भरोसा हो उन्हे मुख्यमंत्री बना दें।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। फ्यूचर पॉलिटिक्स क्या है, उसका हमेशा विकल्प रहता है तो मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा। जो मेरे साथी हैं, सपोर्टर हैं, साढ़े 9 साल मैं मुख्यमंत्री रहा, उस दौरान जो मेरे साथ रहे, उनसे बातचीत करके मैं आगे का फैसला करूंगा। मैं कांग्रेस पार्टी में हूं। साथियों के साथ बात करके आगे की पॉलिटिक्स का फैसला करेंगे।
राजीव जी मेरे दोस्त थे। एक साल छोटे थे, बच्चों को जानता हूं, सोनिया जी को जानता हूं। इस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता हूं। कांग्रेस प्रेसिडेंट को बताया था कि मेनिफेस्टो के केवल 18 पॉइंट बचे हैं और बाकी सब हो चुका है। अब क्या करेंगे ये मैं नहीं कह सकता। मैं यही कह सकता हूं कि 52 साल का जीवन पंजाब और पंजाबियों के लिए किया। चुनाव दिए हुए अभी एक घंटा ही हुआ है। कुछ वक्त दीजिए। पॉलिटिक्स स्टैटिक गेम नहीं है, ये मूव करता है। 52 साल की राजनीति में बहुत सारे साथी बन जाते हैं, कोई पार्लियामेंट में हैं और असेंबली में हैं, उनसे बात करके फैसला करूंगा।
चंडीगढ़ में कैप्टन अमरिंदर सिंह के घर पर उनके गुट के विधायकों की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में सिर्फ 10-12 विधायक शामिल हुए हैं, इनमें 4 मंत्री भी शामिल थे।
इससे पहले कैप्टन ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और मनीष तिवारी से बात कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। सूत्रों के मुताबिक कैप्टन ने आज ही पूरी कलह खत्म करने को कहा था। साथ ही धमकी दी कि उन्हें इस तरह सीएम पद से हटाया गया तो वे पार्टी भी छोड़ देंगे। उन्होंने ये संदेश पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने के लिए भी कह दिया था।
कैप्टन से नाखुश 40 विधायकों की चिट्ठी के बाद कांग्रेस हाईकमान ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने शनिवार शाम 5 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा कर दी। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शुक्रवार आधी रात को यह जानकारी शेयर की थी। विधायक दल की मीटिंग के लिए अजय माकन और हरीश चौधरी ऑब्जर्वर बनाए गए थे।
सियासी उठापटक के बीच पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पूर्व डीजीपी मुहम्मद मुस्तफा ने कहा कि पंजाब के विधायकों के पास साढ़े चार साल बाद कांग्रेसी सीएम चुनने का मौका है। यानी मुस्तफा ने साफ तौर पर अमरिंदर सिंह के कांग्रेसी होने को ही नकार दिया है। मुस्तफा ने कहा कि 2017 में पंजाब ने कांग्रेस को 80 विधायक दिए। इसके बावजूद आज तक कांग्रेसी सीएम नहीं मिला। करीब साढ़े चार साल में कैप्टन ने पंजाब और पंजाबियत के दर्द को दिल से नहीं समझा। ऐसे में अब 80 में से 79 विधायकों के पास सम्मान पाने और जश्न मनाने का मौका आया है।
पंजाब के पॉलिटिकल एनालिस्ट कहते हैं कि दोनों के बीच वैचारिक मतभेद हैं। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। दोनों के ही रिश्ते तल्ख रहे हैं। सिद्धू 2004 से 2014 तक अमृतसर से सांसद रहे। इस दौरान 2002-2007 तक अमरिंदर के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सिद्धू उनके कटु आलोचक रहे थे।
2017 के चुनावों में 117 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं और इस तरह भारी बहुमत के साथ कैप्टन सीएम बने। तब चर्चा चल रही थी कि सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बजाय सिद्धू को नगरीय निकाय विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
इसके बाद भी दोनों के बीच की तल्खी दूर नहीं हुई। कभी टीवी शो में जज की भूमिका को लेकर तो कभी विभागीय फैसलों को लेकर सिद्धू मुख्यमंत्री के निशाने पर ही रहे। तब कैप्टन ने सिद्धू का विभाग भी बदल दिया। उन्हें बिजली महकमा दे दिया, जो सिद्धू ने स्वीकार नहीं किया और घर बैठ गए।
कुछ महीने पहले सिद्धू ने बेअदबी मामले को लेकर ट्वीट करना शुरू किया और कैप्टन पर बादल परिवार के सदस्यों को बचाने के आरोप लगाए। जब उन्हें कैप्टन विरोधियों का साथ मिला तो वे और सक्रिय हो गए। फिर हाईकमान ने दखल देते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के बाद से ही कांग्रेस में खींचतान बढ़ गई थी। खासतौर से कैप्टन के विरोधी गुट ने दूसरी बार मोर्चा खोल दिया है, जबकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस चाहती थी कि जल्द से जल्द इस मामले को सुलझा लिया जाए। हालांकि कैप्टन के खिलाफ बगावत का हर दांव अभी तक फेल रहा था। ऐसे में अब सिद्धू खेमा पूरा जोर लगा रहा था कि किसी भी तरह कैप्टन को कुर्सी से हटाया जाए। आखिरकार शनिवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के कुर्सी छोड़ने के बाद पंजाब कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल ये है कि कमान किसे सौंपी जाए। हालांकि बागी ग्रुप की अगुवाई कर रहे सुखजिंदर रंधावा भी सीएम बनने की इच्छा रखते हैं, लेकिन ऐसा करने पर कैप्टन ग्रुप के विधायक नाराज हो जाएंगे।
इसके अलावा सोशल मीडिया पर नवजोत सिद्धू को सीएम बनाने की मांग हो रही है, हालांकि वो पहले ही संगठन के प्रधान हैं। फिर उनको लेकर कैप्टन ग्रुप की नाराजगी भी रहेगी।
ऐसे में चर्चा है कि क्या किसी हिंदू चेहरे को 5 महीने के लिए सीएम की कुर्सी दी जा सकती है, ऐसी स्थिति में सुनील जाखड़ का नाम सामने आ रहा है। पूर्व प्रधान लाल सिंह भी इन दिनों कैप्टन के करीबी बने हुए हैं। उधर सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी लंबे समय से कुर्सी पाने की कोशिश कर रहे हैं। इनके अलावा राजिंदर कौर भट्‌ठल पर भी नजरें टिकी हैं ,जो पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

रिपोर्ट – आर डी अवस्थी

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