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पहली बार यू पी के जिला पंचायत चुनाव में बीजेपी का जलवा, जानिए कैसे मिली कितनी सीटें!

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी को करारा झटका देते हुए अपना दबदबा बरकरार रखा है, 75 सीटों में से 53 में हुए चुनाव में बीजेपी ने 43 सीटों को जीत कर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में नया कीर्तिमान स्थापित किया।

बुंदेलखंड में तो बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है, विपक्ष का एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जिता है । 75 में से 65 सीटों पर बीजेपी और सहयोगी के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं तो वहीं सपा को सिर्फ 6, राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल समेत 4 अन्य के खातों में गई है। रायबरेली में भी कांग्रेस अपना प्रत्याशी नहीं जिता पाई है। ये भी माना जा रहा है कि बीएसपी के चुनाव नहीं लड़ने का फायदा भी बीजेपी को ही मिला है।

जैसा की अनुमान लगाया जा रहा था कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलियों की भूमिका बहुत बड़ी होगी या यू कहें निर्दलीय प्रत्याशी किंग मेकर की भूमिका में रहे। कोरोना काल में पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी से नाराजगी का असर देखने को मिला था जिसके चलते सपा, बसपा और निर्दलीय प्रत्याशी सबसे ज्यादा जिला पंचायत सदस्य चुने गए थे। बीजेपी समर्थित प्रत्याशी तो कई जिलों में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाए थे।

परन्तु जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी का जो मैनेजमेंट देखने को मिला उसका नतीजा ही है कि 75 में से 65 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। अंदरखाने बीएसपी के चुनाव नहीं लड़ने का फायदा भी कहीं न कहीं बीजेपी के खाते में जाता दिखता है। वहीं समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में योगी सरकार पर सरकारी मिशनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

विपक्ष के नेताओं ने योगी सरकार पर डीएम और एसपी के द्वारा चुनाव जीतने का आरोप भी लगाया है।
जिला पंचायत अध्यक्षों के परिणाम पर नजर डाले तो जहां समाजवादी पार्टी लखनऊ में जीत दर्ज करने का दावा कर रही थी तो सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिले बीजेपी की आरती रावत ने सपा की विजय लक्ष्मी को चुनाव में हरा दिया। 25 वोट में से आरती को 14 और विजयलक्ष्मी को सिर्फ 11 वोट मिले। उन्नाव में बीजेपी की शकुन सिंह 9 वोट से जीती, कानपुर में बीजेपी के स्वप्निल वरुण और सीतापुर में बीजेपी की श्रद्धा सागर 34 वोट से जीतीं। जालौन में बीजेपी के घनश्याम अनुरागी, सुल्तानपुर में बीजेपी की उषा सिंह, महराजगंज में बीजेपी के रविकांत 47 में से 38 वोट पाकर जीते। अयोध्या में बीजेपी की रोली सिंह 20 वोट से, बरेली में बीजेपी की रश्मि पटेल 21 वोट से चुनाव जीती। बलिया में सपा के आनंद भदौरिया 9 वोट से, एटा में सपा की रेखा यादव, संतकबीरनगर में सपा के बलराम यादव समेत सपा को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली। 75 में से एक सीट रायबरेली में बीजेपी को टक्कर देने वाली कांग्रेस हार गई। बीजेपी की रंजना चौधरी ने रायबरेली में जीत दर्ज की।

राजा भईया की पार्टी का प्रतापगढ़ में दबदबा फिर देखने को मिला है। प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल की माधुरी पटेल 40 वोट पाकर जीती हैं। वहीं कानपुर देहात, भदोही समेत 4 जिलों में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं।

पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है, पर सेमीफाइन में बीजेपी ने जो जीत दर्ज कि है उससे विपक्ष के हौसले कितने पस्त होते हैं ये तो आने वाला वक्त बताएगा। वैसे भी जिला पंचायत के चुनावों को सत्ता पक्ष का चुनाव ही माना जाता है। उत्तर प्रदेश में सरकारें बदलने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष बदलना कोई नहीं बात नहीं है। इतिहास गवाह है जब जब उत्तर प्रदेश में सरकारे बदली तो जिलों की गद्दी पर सत्ता पक्ष ने ही कब्जा किया है। बरहाल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के बाद सभी पार्टियां विधानसभा की तैयारियों में जोर-शोर से जुटेंगी क्योंकि पंचायत चुनाव के परिमाण विधानसभा पर कितना असर डालेंगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएंगा।

फिलहाल इतिहास में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत से कार्यकर्ताओं का मनोबल जरूर बढ़ गया है और इसका फायदा आने वाले विधान परिषद और विधानसभा के चुनाव में पार्टी को जरूर मिलेगा।

रिपोर्ट – आनन्द मिश्रा

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