*पिता और बड़े बेटे की हत्या के बाद बना हुआ है पूरे परिवार को खतरा.. 12 सालों से छाया खौफ का साया.. कानून के राज पर बड़ा सवाल*

हरदोई के एक प्रतिष्ठित परिवार पर पिछले 12 सालों से छाया हुआ है जानी दुश्मन का खौफ …..और जानी दुश्मन भी ऐसा जिसके आगे पुलिस प्रशासन और कानून बौना साबित हो रहा है …और जो एक के बाद एक परिवार के दो मुखिया की सरेआम हत्या करने के बाद अब पूरे परिवार का खात्मा करने पर है. आमादा…. आखिर कितना बड़ा अपराधी है वह जानी दुश्मन…. जिस की वजह से एक परिवार…. पिछले 12 सालों से हथियारों के साए में जीने को मजबूर है

स्वर्गीय हरिशंकर मिश्रा

हरदोई से आलोक मिश्रा की खास रिपोर्ट……..

हरदोई जनपद के सबसे प्रतिष्ठित राजनैतिक परिवार में से पंडित हरिशंकर मिश्रा का परिवार माना जाता है… लेकिन साल 2006 में परिवार पर मौत का ऐसा साया मंडराया जो अभी तक इस परिवार का पीछा नहीं छोड़ रहा… हरदोई के सुरसा विकासखंड में ब्लॉक प्रमुखी का चुनाव जीत रहे शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने वाले पंडित हरिशंकर मिश्र की हरदोई शहर के पास 1 फरवरी 2006 को उस समय हत्या कर दी गई …जब आपने Bolero जीप में सवार होकर समर्थकों के साथ जा रहे थे.. पंडित हरिशंकर मिश्र ने हरदोई के पिछड़े क्षेत्रों में बालिकाओं की शिक्षा के लिए सबसे पहले स्कूल खोलें और गरीब घरों की बेटियों शिक्षा की रोशनी से जोड़ा …जिसकी वजह से क्षेत्र में उनका सम्मान लगातार बढ़ता ही जा रहा था.. और समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव स्थानीय नेता नरेश अग्रवाल से उनको की नजदीकियां थी…

वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल के साथ स्वर्गीय संजय मिश्रा

 

लेकिन राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में

बढ़ते हुए… ऐसे बहुत से ऐसे विरोधी उनकी जिंदगी के दिन गिरने लगे …जिनको शायद हरिशंकर मिश्र के परिवार की तरक्की और राजनीतिक वर्चस्व हजम नहीं हो रहा था… और यही वजह थी कि उनकी हत्या के बाद पुलिस ने कुछ बदमाशों को जेल भेजा …लेकिन हत्या के असली मास्टरमाइंड का आज तक पता नहीं चल पाया

.. पंडित हरिशंकर मिश्र की हत्या के बाद उजड़ चुके उनके परिवार को संभालने की कोशिश की … उनके बड़े बेटे संजय मिश्रा न.. संजय मिश्रा ने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए एक इंटर कॉलेज 1 डिग्री कॉलेज और एक लॉ कॉलेज क्षेत्र में खोला …

अपने पिता के नाम पे अपने कॉलेज के पास खड़े स्वर्गीय संजय मिश्रा

शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए उन्होंने भी कम समय में बहुत मान सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल की और राजनीति में भी लगातार उनका सम्मान बढ़ता रहा ..और उन्हें भी ब्लॉक प्रमुख बनने का मौका मिला ..बताया जाता है कि हरदोई के सदर सीट से वह विधायकी के दावेदार भी थे.. और समाजवादी पार्टी में उनकी भी मजबूत पकड़ थी ..अपने पिता की हत्या के बाद संजय मिश्रा अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहते थे.. और कई गाड़ियों के काफिले में असलहा धारियों के घेरे में ही रहा करते थे .. लेकिन 28 दिसंबर 2016 को सुरक्षा के प्रति लापरवाही दिखाते हुए वह सुबह ही अपने निर्माणाधीन कॉलेज मैं छत की स्लैब का काम देखने के लिए अकेले ही अपनी गाड़ी से चले गए …और सुरक्षाकर्मियों को घर पर ही छोड़ गए.. उनकी यही चूक उनकी जिंदगी की आख़िरी भूल साबित हुई… उनके ही कॉलेज में बैठे हमलावरों में से एक ने पहले आकर संजय मिश्रा के पैर छुए और उसके बाद ताबड़तोड़ उनके ऊपर फायर कर दिया .. संजय मिश्रा पर उस समय गोली चली जब वह मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे.. वह बिल्कुल इस परिस्थिति के लिए तैयार नहीं थे.. लेकिन फिर भी उन्हें हिम्मत दिखाई और पहले हमलावर को धक्का देकर कॉलेज के गेट की ओर भागे.. कई गोलियां लगने के बाद करीब सौ मीटर तक दौड़ते रहे.. लेकिन इसी बीच दूसरे हमलावर ने भी सामने से आकर उनके सीने पर फायर कर दिए.. और उनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई ..पंडित हरिशंकर मिश्र के दुखद अंत के बाद उनके दायित्वों को संभाल कर परिवार को आगे बढ़ाने वाले बड़े बेटे संजय मिश्रा की भी निर्मम हत्या हो गई …

स्व. हरिशंकर मिश्र के छोटे बेटे धनंजय मिश्रा और श्याम जी मिश्रा अपनी माता जी के साथ

…. 2006 में हरदोई के बड़े घराने के पिता की हत्या होती है.. और 2016 में उन के बाद.. परिवार को संभालने वाले दूसरे मुखिया को भी मार दिया जाता है…लेकिन दोनों ही मामलों में पुलिस ठीक से खुलासा नहीं कर पाती… और उसके बाद फिर 29 दिसंबर 2017 को संजय मिश्रा के छोटे भाई यानी हरिशंकर मिश्रा के दूसरे बेटे धनंजय मिश्रा पर भी जानलेवा हमला हो जाता है …सुरसा इलाके में सफारी गाड़ी से जा रहे धनंजय मिश्रा की गाड़ी जब एक चौराहे पर धीमी हुई तो घात लगाकर बैठे हमलावरों ने संजय मिश्रा की सीट की ओर गोलियां चलाई… किस्मत से वह बच गए उनके साथ मौजूद सरकारी सुरक्षाकर्मी और निजी सुरक्षा कर्मियों ने उत्तर के बदमाशों को ललकारा लेकिन रेसर बाइक पर सवार बदमाश फरार हो गए..
परिवार के दो जिम्मेदार सदस्यों को मौत के घाट उतारने के बाद के बाद तीसरे जिम्मेदार सदस्य पर हुए जानलेवा हमले से मौत की दहशत के घने बादल और काले हो गए हैं… हालत यह है कि घर से बच्चों का भी निकलना मुश्किल है ..और कोई भी सदस्य यदि घर से निकलता है तो हथियारों के साए में ही निकलने की हिम्मत जुटा पाता है .. 24 घंटे पूरा परिवार सुरक्षाकर्मियों के घेरे में रहता है शासन से भी परिवार को दो सरकारी जनार उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन जीवन का एक-एक दिन भयंकर तनाव अवसाद और दहशत बीत रहा है..
घर में मौजूद वृद्ध विधवा सास के सामने ही उसकी जवान विधवा बहू जब हत्यारों की गोली का शिकार हो चुके अपने पति की तस्वीर देखती है… तो उत्तर प्रदेश में कानून के राज्य का दावा करने वाली सरकारों के झूठे चेहरों से नकाब गिर पड़ता है…

वृद्धावस्था में न सिर्फ अपनी सूनी मांग का दर्द झेल रही बल्कि अपनी जवान बहु की विधवा होने का भी भीषण तनाव झेल रही स्वर्गीय हरिशंकर मिश्र की धर्मपत्नी ओमवती मिश्रा प्रदेश सरकार से पूछती हैं कि आखिर कौन है जो लगातार उनके परिवार को खत्म करने की कोशिश में जुटा हुआ है …उनके पति की हत्या हुई फिर परिवार को संभालने वाले उनके जवान बेटे की हत्या हुई …और फिर उनके दूसरे बेटे ने जब परिवार को आसरा देने की कोशिश की तो उसके ऊपर गोलियां चल रही है..

स्वर्गीय संजय मिश्रा की पुंयतिथि पर श्रद्धांजलि देते शोकाकुल परिवार

स्वर्गीय हरिशंकर मिश्रा की हत्या के बाद तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने कथित रूप से मामले का खुलासा करते हुए कुछ लोगों को जेल भेजा था ..और उसके बाद स्वर्गीय संजय मिश्रा की हत्या के बाद भी को शूटर्स को जेल भेजा गया था.. लेकिन दोनों ही मामले अगर सही तौर पर खोले गए होते तो ..अभी भी परिवार के लोगों की जान पर खतरा ना मंडरा रहा होता एक बार फिर परिवार के दूसरे बेटे धनंजय मिश्रा के ऊपर फायरिंग ना हुई होती …दबी जुबान में लोग बताते हैं कि तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने दबाव में उनका उक्त घटनाओं का गलत खुलासा किया था ..अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं और कई शूटरों को और साजिश रचने वालों को गिरफ्तार भी नहीं किया गया…

हरदोई के पुलिस अधीक्षक बताते हैं कि परिवार को पूरी सुरक्षा दी गई है.. और पुलिस अधिकारी पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं..

संजय मिश्रा हत्याकांड का खुलासा करते तत्कालीन पुलिस अधिकारी

.. समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इस परिवार के खात्मे से हरदोई में किसे फायदा होने वाला है ..आखिर कौन है वह जो इतना मजबूत है कि एक के बाद एक हत्या करने के बाद भी पुलिस केवल उसके कुछ गुर्गों तक ही पहुंच पाती है.. और असली हत्यारा परिवार के अगले सदस्य की हत्या की योजना में जुट जाता है.. यह सवाल और इससे जुड़े रहस्य इस परिवार की नींद उड़ आए हुए हैं साथी यह सवाल उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है जिस की सरपरस्ती में रहने के बावजूद एक परिवार एक के बाद एक अपने दो एवं सदस्यों को गंवा चुका है और अभी भी खतरा बना हुआ है..