प्रतापगढ़: अंधविश्वास या कोरोना का खौफ या फिर जमीनी विवाद? आखिर क्या है कथित कोरोना मंदिर मामला

प्रतापगढ़: कोरोना की दूसरी लहर के बाद लोगो मे इस बीमारी का डर ऐसा व्याप्त हो गया है कि लोग इलाज के साथ साथ अंधविश्वास की तरफ भी उन्मुख होने लगे है जिसका ताजा उदाहरण जनपद में देखने को मिला जहाँ एक स्थान पर नीम के पेड़ के नीचे एक मूर्ति रख उसे कोरोना मंदिर का नाम दे दिया गया, जिसकी फ़ोटो कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी।

अभी तक कोयम्बटूर और तमिलनाडु में कोरोना मंदिर बनाया गया था और आजमगढ़ तथा बस्ती आदि क्षेत्रों में कोरोना देवी की पूजा की जाने लगी थी तो वही प्रतापगढ़ जिला एक कदम आगे ही निकल गया और प्रतिमा स्थापित कर मंदिर का ही निर्माण कर दिया और विधिवत पूजा अर्चना भी करने लगे।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोगो का यह मत था कि पूर्व में चेचक को शीतला माता का रूप मानकर उनकी पूजा अर्चना की जाती थी उसी प्रकार कोरोना भी किसी देवी का रूप है यही नही बनाये गए कथित मंदिर पर पूजा अर्चना की विधि भी निर्धारित की गई थी जिसमे दूरी से दर्शन करने के निर्देश, पीले फूल एवम पीले वस्त्र ही चढ़ाने के निर्देश दिये गए थे।

पूरा मामला दरअसल जिले के सांगीपुर थाना के जूही शुक्लपुर गांव का है जहाँ कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने अंधविश्वास के चलते कोरोना के खौफ को कोरोना को देवी का रूप मानकर एक स्थान पर बाकायदा मूर्ति स्थापित कर निर्माण कर उसे कोरोना मंदिर की संज्ञा दे दी।

सूत्रों की माने तो गांव में तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी जिसके तहत गांव में लोगों को यह विश्वास था कि यह कोई दैवीय प्रकोप से महामारी चल रही है, जिसके क्रम में ग्रामवासियों ने विचार किया कि यदि देवी प्रसन्न रहेंगी तो गांव में किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आएगी इसी अंधविश्वास के चलते गांव के लोगो ने एक स्थान पर एक मास्क लगी मूर्ति रख निर्माण कर पूजा पाठ भजन कीर्तन करना प्रारंभ कर दिया और इस स्थान को कोरोना मंदिर की संज्ञा दे दी ग्रामीणों में विश्वास था इस तरह से पूजा पाठ करने से उन्हें कोरोना नही होगा।

उक्त सूचना धीरे धीरे सोशल मीडिया में फैल गयी और तरह तरह की चर्चाएं होने लगीं जिसके बाद हरकत में आयी पुलिस ने आनन-फानन में पुलिस प्रशासन ने कथित मंदिर को ध्वस्त कर दिया हालांकि पुलिस की इस कार्यवाही का ग्रामीणों ने विरोध भी किया।

जब सुबह ग्रामीण पूजा अर्चना करने के लिए उक्त स्थान पर पहुंचे तो मौके की स्थिति देखकर ग्रामीणों में आक्रोश भड़क गया और जिला प्रशासन पर आरोप लगाने लगे। ग्रामीणों का गुस्सा देखकर मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया।

हालांकि अंधविश्वास फैलने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कार्यवाही करते हुए उक्त मूर्ति को कब्जे में ले लिया गया है वही सूत्रों की माने तो प्रश्नगत भूमि का मामला दो भाइयों के मध्य जमीन के विबाद से भी संबंधित है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के प्रधान शंकरलाल जायसवाल ने बताया कि विगत रात लगभग 9 बजे के करीब स्थानीय पुलिस आयी और मंदिर को गिरवा दिया मंदिर का निर्माण करने वाले युवक को सुबह थाने पूछताछ के लिए ले गई।जब इस बारे में में एसओ सांगीपुर तुसार दत्त त्यागी से बात की गई तो उनका कहना है मंदिर तोड़ने की जानकारी उन्हें नहीं है न किसी को पूछताछ के लिए ले थाने लाया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस पंचायत उपचुनाव में व्यस्त है।

रिपोर्ट – राजेंद्र मिश्रा प्रतापगढ़, नितेश मिश्रा लखनऊ

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