पॉलीटिकल डेस्क
द इंडियन ओपिनियन: नई दिल्ली
कहा जा रहा है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं देश के बड़े हिस्से में उनका प्रभाव है लेकिन देश के कई हिस्सों में उनका प्रभाव घट भी रहा है यह भी एक सच्चाई हैl यह सच्चाई भले ही भारतीय जनता पार्टी के लिए कड़वी हो लेकिन देश के महत्वपूर्ण राज्य पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आ रही है।
बंगाल से जुड़े भाजपा के दिग्गज नेता छोड़ रहे हैं पार्टी:
हालत यह है कि बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद के ही कुछ महीनों के अंदर जहां पहले भाजपा के महासचिव मुकुल राय ने पार्टी को छोड़कर एक बार फिर ममता बनर्जी का हाथ पकड़ लिया था वहीं दूसरी तरफ अब बीजेपी के दिग्गज नेता गीतकार और बंगाल के आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो ने भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कह दिया है और एक बड़ा झटका दिया है। बाबुल सुप्रियो बंगाल में भाजपा के उन नेताओं में माने जाते हैं जिन्होंने वहां भाजपा को मजबूत करने में बड़ा योगदान दिया था।
पश्चिम बंगाल में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुरक्षा सम्मान नहीं दे पाए मोदी:
वहां ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद शुरू हुए हिंदू विरोधी दंगों में भाजपा के कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई कई नेताओं के घरों पर हमले हुए और बीजेपी के छोटे बड़े नेताओं का उत्पीड़न शुरू हो गया भाजपा की कई महिला समर्थक बलात्कार और यौन हिंसा से जुड़ी अन्य घटनाओं की भी शिकार हुई पूरे देश में बंगाल के हिंसा की चर्चा हुई मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया इसके बावजूद केंद्र की सरकार बंगाल में अपने कैडर कार्यकर्ताओं और नेताओं को पर्याप्त सुरक्षा और सम्मान देने में विफल रही ।
बंगाल के बीजेपी नेता और कार्यकर्ता हिंसा और उत्पीड़न के डर से बीजेपी छोड़ने को मजबूर:
कई शिकायतों के बावजूद केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल सरकार को कोई सख्त संदेश नहीं दे पाई इसलिए बंगाल में रहने वाले भाजपा के नेता खुद को असुरक्षित और ठगा हुआ महसूस करने लगे इसी वजह से मुकुल राय समेत कई जनपदों के जिलाध्यक्ष और तमाम संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भाजपा को पिछले कई दिनों में अलविदा कहा है । बाबुल सुप्रियो बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का बड़ा चेहरा थे उनके जाने के बाद वहां निश्चित तौर पर भाजपा और ज्यादा कमजोर होगी वही ममता बनर्जी लगातार ऊंचे मनोबल के साथ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने ऐलान किया था कि बंगाल में बीजेपी का अस्तित्व नहीं बचेगा । उन्होंने पिछले दिनों यह भी कहा कि वह हर दूसरे महीने दिल्ली आएंगी और राष्ट्रीय राजनीति में भी भाजपा के खिलाफ जनादेश तैयार करने का काम करेंगी को कोई और इसी वजह से पश्चिम बंगाल से बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने का एलान किया है।
बंगाल में ममता सरकार भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कर रही है सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल:
दरअसल बंगाल में बीजेपी के नेताओं को लगातार ममता की सरकार तीसरी बार बनने के बाद सरकारी उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है वहां उनके काम धंधे और व्यवसाय पर भी सरकारी चोट की जा रही है साथ ही साथ पुलिस प्रशासन भी बीजेपी की कार्यकर्ताओं और नेताओं की नहीं सुन रहा। आरोप है कि tmc कार्यकर्ता और नेता खुलेआम गुंडागर्दी करते हैं और बंगाल में रह रहे पश्चिम बंगाल बांग्लादेशी और रोहिंग्या सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस से जुड़ चुके हैं वह भाजपा के कैडर को हर जहां नुकसान पहुंचा रहे हैं उनके खिलाफ हिंसक घटनाओं में भी शामिल है इसलिए बंगाल के बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास अपनी जान परिवार और संपत्ति बचाने के लिए तृणमूल की शरण में वापस जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिख रहा और । कहा जा रहा है कि सांसद बाबुल सुप्रियो भी बीजेपी नेतृत्व और केंद्र सरकार की उदासीनता को देखते हुए अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने इसका एलान किया है. उन्होंने कहा कि बिना राजनीति में रहे बिना भी सामाजिक कार्य कर सकते हैं,अपने फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि वह किसी भी पार्टी में नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा कि टीएमसी, कांग्रेस या सीपीएम किसी भी दल ने उन्हें नहीं बुलाया है. आसनसोल लोकसभा सीट से बीजपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, “अलविदा! मैं किसी भी राजनीतिक दल में नहीं जा रहा हूं. टीएमसी, कांग्रेस, सीपीआई(एम) किसी ने भी मुझे नहीं बुलाया. मैं कहीं नहीं जा रहा हूं… सामाजिक कार्य करने के लिए राजनीति में होने की आवश्यकता नहीं है.”
राज्यों को लेकर केंद्र सरकार की लचर नीति से भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा:
जानकारों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस और ममता सरकार के खिलाफ जमकर लोहा लिया था यही वजह थी कि वहां भाजपा को पहले की 3 सीटों के मुकाबले 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन एक बार फिर ममता बनर्जी के सत्ता में आने की वजह से वहां चुन चुन कर वह भाजपा कार्यकर्ता और नेता निशाना बनाए जा रहे हैं जिन्होंने बंगाल में भाजपा की जड़े जमाने के लिए पसीना बहाया था हालत यह है कि कई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है और कई महिला कार्यकर्ताओं के साथ बलात्कार हो चुका है दूसरी तरफ केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बंगाल के नेता और कार्यकर्ताओं को सुरक्षा देने में विफल हो रही है ममता बनर्जी लगातार प्रोटोकॉल के विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कठोर भाषा का प्रयोग करते हैं केंद्र के आदेशों को मानने से इंकार कर देती हैं और केंद्र सरकार अपनी बेइज्जती कराने के बावजूद कोई एक्शन नहीं ले पाती इसलिए बंगाल के भाजपाई अपनी पार्टी से सुरक्षा का भरोसा नहीं कर पा रहे। इसलिए आने वाले समय में यह उम्मीद है कि बंगाल की और भी तमाम नेता सांसद विधायक भाजपा छोड़ सकते हैं और अपनी जिंदगी काम धंधे बचाने के लिए ममता बनर्जी के छतरी के नीचे जा सकते है।
द इंडियन ओपिनियन के लिए दीपक मिश्रा की रिपोर्ट