भारतीय राजनीति के दिग्गज पुरोधा प्रणव दा ब्रम्हतत्व में विलीन

रिपोर्ट- मनीष निगम/शरद राज सिंह,

देश के वरिष्ठ लोकप्रिय राजनेता प्रणब मुखर्जी जी अपने राजनैतिक जीवन के 50 लंबे वर्षो तक विभिन्न पदों पर रहते हुए आम जनमानस की सेवा करते रहे, लेकिन लंबी बीमारी से लड़ते- लड़ते जिंदगी की जंग हार गए, देश के पूर्व राष्ट्रपति व भारतीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणव दा अब हमारे बीच नहीं रहे आज उनका 84 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया।
         पश्चिम बंगाल के वीर भूमि जिले  के नाहर  शहर के निकट स्थित मेरठी गांव के ब्राह्मण परिवार 1935 में प्रणब दा का जन्म हुआ था जहां  वह पिता किंकर मुखर्जी तथा माता राजलक्ष्मी मुखर्जी के साए में पले बढ़े,प्रणब दा के जीवन पर राजनीति का असर बचपन से ही था उनके पिता एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो सन 1920 में कांग्रेस में थे 1952 से 1964 तक प्रणब दा के पिता कीकर मुखर्जी विधान परिषद के सदस्य रहे प्रणब दा की शिक्षा दीक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय से संबंधित सूरी विद्यासागर कॉलेज से हुई, 1967 से भारतीय राजनीति में कदम रखने वाले प्रणब दा 2002 तक राज्यसभा के सदस्य रहे,और 2 बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, और जीत हासिल की, और रक्षा मंत्री,वित्तमंत्री, जैसे पदों को भी सुशोभित किया।

भारत की राजनीति के एक बेहतरीन राजनेता माने जाते थे प्रणब दा को 2003 में पदम भूषण से भी सम्मानित किया गया तथा 2019 में सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान के लिए भारत रत्न से नवाजा गया।
        प्रणब दा भारत के 13 वे राष्ट्रपति 2012 से 17 तक पिछले कुछ वर्षों से उम्र के चलते बीमारी से जूझ रहे थे सयुक्त प्रगतिशील कांग्रेस गठबंधन ने अपना उम्मीदवार घोषित किया इन्होंने पी ए सिंगमा को चुनाव हराया था, प्रणब दा को 1984 न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका यूरो मनी में एक सर्वेक्षण के अनुसार के दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मंत्रियों में से एक चुना इनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जाता है कि वह कितने उत्कृष्ट नेता थे।
           प्रणब दा ने अपने राजनैतिक जीवन में कई पदों को सुशोभित किया 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे, नरसिम्हा राव की सरकार में 10 फरवरी 1995 से 96 तक विदेश मंत्री का कार्य भार संभाला 2004 से 2006 तक भारतवर्ष के रक्षा मंत्री भी रहे इसके साथ ही सन 1991 से 15 मई सन 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी बनाए गए
       प्रणव दा के कुछ समय पहले ब्रेन मैं ब्लड का थका जमा हुआ था साथ ही कारोना वायरस पॉजिटिव भी पाए गए जिसके चलते जीवन से संघर्ष करते-करते प्रणव दा जीवन से जंग हार गए देश के एक सर्वोच्च नेता के जाने से देश की एक बहुत बड़ी राजनैतिक क्षति हुई है।

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