मंदी से नहीं निपट पा रही निर्मला सीतारमण, शेयर बाजार औंधे मुँह गिरा।

कोरोना महामारी के साथ-साथ आर्थिक मंदी लगातार देश को नुकसान पहुंचा रही है। अर्थव्यवस्था को बेहतर गति देने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की कोशिशें असर नहीं दिखा रही हैं। जीडीपी में गिरावट की खबर से भारतीय बाज़ारों में पिछले कुछ समय से आ रही तेजी मंगलवार को थम गई।

खुदरा निवेशकों के लिए नए मार्जिन के दिशानिर्देश तय होने, भारत-चीन  सीमा पर एक बार फिर झड़प की ख़बरों और जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में भारी गिरावट के डर ने बाजार का उत्साह ठंडा कर दिया।

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का संवेदी सूचकांक 839 अंक की तेज गिरावट के साथ 38,628.3 पर बंद हुआ। इस साल 18 मई के बाद सेंसेक्स में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। एनएसई का निफ्टी भी 260 अंक का गोता लगाकर 11,387.5 पर बंद हुआ। शुक्रवार को बेंचमार्क सूचकाक 27 फरवरी के बाद के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए थे।

सूचकांक पूरे महीने में 15 प्रतिशत तक चढ़ गया था और पिछले छह वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंचने की तरफ बढ़ रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार तेजी के बाद कोई भी एक मायूसी भरी खबर बाजार पर भारी असर डालती है, लेकिन सोमवार को तो बिकवाली की तीन वजह मिल गई।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर ब्रोकरों पर अंकुश लगाने के लिए नए मार्जिन के दिशानिर्देश जारी किए हैं। बाजार इसे पचा नहीं पाया और औंधे मुंह गिरा। सेबी के इस फरमान के बाद अब कुछ ब्रोकरों को अपनी मौजूदा कारोबारी रुख में बदलाव करना होगा।

नए मार्जिन दिशानिर्देश के अलावा भारत-सीमा पर झड़प की खबर आने के बाद बाजार में कारोबारियों का जायका बिगड़ गया। इससे पहले जून में सीमा पर झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन के सैनिकों भी हताहत हुए थे।

इस समय अर्थव्यवस्था की हालत ऐसे ही खराब है और उस पर सीमा पर तनाव बाजार के लिए अच्छी बात नहीं है। ताजा झड़प की खबर के बाद ऐसा लग रहा है कि चीन की मंशा ठीक नहीं है। एक ही बात अच्छी है कि बाजार बढ़त हासिल कर रहा है और इसे छोड़ दें तो स्वयं बाजार के लिए खुशी मनाने का कोई कारण मौजूद नहीं है।’

विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार मान कर चल रहा था कि जीडीपी की हालत खस्ता रहने वाली है। इससे कारोबारियों को अच्छी उम्मीद से पहले ही सदमा लग गया।

रिपोर्ट – रविनंन खजांची / मनीष निगम

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