मेडिकल एजुकेशन में रिजर्वेशन पर बीएसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केन्द्र सरकार पर साधा निशाना।

मायावती बोली- देर से लिया गया फैसला, चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश, सोशल मीडिया यूजर्स ने आरक्षण के खिलाफ मोर्चा खोला।
केंद्र सरकार के मेडिकल एजुकेशन में OBC को 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण देने के फैसले पर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो ने तंज कसा है। मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा कि ये केंद्र सरकार द्वारा देर से लिया गया राजनीतिक फैसला है। इसके जरिए यूपी चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश की जाएगी। वहीं सोशल मीडिया यूजर्स ने आरक्षण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

मायावती ने लिखा, ‘देश में सरकारी मेडिकल कालेजों की ऑल इंडिया की यूजी व पीजी सीटों में OBC कोटा की घोषणा काफी देर से उठाया गया कदम। केंद्र सरकार अगर यह फैसला समय से ले लेती तो इनको अबतक काफी लाभ हो जाता। लेकिन अब लोगों को यह चुनावी राजनीतिक स्वार्थ हेतु लिया गया फैसला लगता है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘वैसे BSP बहुत पहले से सरकारी नौकरियों में SC-ST और OBC कोटा के बैकलॉग पदों को भरने की मांग लगातार करती रही है। लेकिन केंद्र और यूपी सहित अन्य राज्यों की भी सरकारें इन वर्गों के वास्तविक हित व कल्याण के प्रति लगातार उदासीन ही बनी हुई हैं, यह अति दुःखद है।’
यूजर्स ने आरक्षण हटाने की मांग की आरक्षण का ऐलान करते ही सोशल मीडिया पर ये ट्रेंड करने लगा। आरक्षण का विरोध करने वाले ट्वीटर यूजर्स OBC आरक्षण वापस लो को ट्रेंड कराया है। सवर्ण सांसदों पर भी यूजर्स ने निशाना साधा। यूजर्स ने आरक्षण खत्म करने की मांग की।

सोशल जस्टिस कमेटी के मुताबिक, यूपी की आबादी में पिछड़ी जातियों की संख्या लगभग 54 प्रतिशत है। गैर यादव ओबीसी का रुझान भाजपा की ओर माना जाता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी इस बड़ी आबादी का अधिकतर वोट भाजपा को मिला था। अब एक बार फिर विधानसभा का चुनाव नजदीक है, लिहाजा यह फैसला इस वोट बैंक पर असर डाल सकता है।
यूपी के मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई की तैयारी कर रहे पिछड़े वर्ग के युवा काफी दिनों से नीट में रिजर्वेशन की मांग कर रहे थे। खुद भाजपा और उसके सहयोगी दलों के सांसद व अन्य जन प्रतिनिधि भी यह मांग कर रहे थे। कहा जा रहा है कि इस फैसले से पिछड़ी जातियों में खासतौर से उसके युवा वर्ग को अपने पाले में लाने में भाजपा को आसानी होगी। साथ ही आर्थिक रूप से पिछडे़ आंकड़ों में भी खासतौर पर ब्राह्मण युवाओं को भाजपा से जोड़ कर रखने में पार्टी को मदद मिल सकती है।
पॉलिटिकल एनालिस्ट रुद्र प्रताप दुबे कहते हैं कि मायावती, एक मंझे हुए राजनेता की तरह नीट में रिजर्वेशन के फैसले को सही या गलत न बोलकर चुनावी स्वार्थ में उठाया गया कदम बता रही हैं। बात तो इस पर होनी चाहिए थी कि इस फैसले को बसपा समर्थन दे रही है या नहीं।
पिछले कुछ सालों से न जानें क्यों विपक्ष की रचनात्मकता घटती जा रही है। जिन विषयों पर विपक्ष की सहमति भी रही है। उस पर भी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर ऐसी टिप्पणी करके वो किसी ठोस रणनीति के अभाव से जूझते दिखते हैं।

रिपोर्ट – आर डी अवस्थी

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