लखनऊ :के जी एम यू कुलपति, डॉ विपिन पुरी को लोकायुक्त के सचिव ने किया जवाब तलब।

लखनऊ :केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी लोक आयुक्त जांच की जद में आ गए है। उनके कार्यकाल में लिए गए कई अहम निर्णयों पर जांच टीम ने उन्हें जवाब तलब किया है। प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर की नियुक्ति के अलावा 3 अन्य बिन्दुओं को लेकर केजीएमयू कुलपति से जवाब मांगा गया है। इसे महज इत्तेफाक कहे या कुछ और पर भूतपूर्व कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट के विरुद्ध लोकायुक्त की जांच अभी पूरी नही हुई इससे पहले ही मौजूदा कुलपति भी जांच के घेरे में आ गए है। बहरहाल,केजीएमयू प्रशासन ने लोक आयुक्त को जल्द ही जवाब भेजने का दावा किया है।
दरअसल राजधानी लखनऊ के केशव नगर निवासी श्रीकांत सिंह ने लोकायुक्त से शिकायत की थी।इसमें चार गंभीर प्रकरणों पर सवाल उठाया गया है। ऐसे में लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार ने 6 अगस्त को कुलपति डॉ. विपिन पुरी को नोटिस जारी की। नए कुलपति से सवाल-जवाब की नोटिस पहुंचते ही, प्रशासन सकते में आ गया। डॉ. पुरी ऐसे पहले कुलपति हैं, जिनका कार्यकाल का एक साल बीतते ही लोकायुक्त जांच के घेरे में आ गया।वहीं तत्कालीन कुलपति कार्यकाल के अंतिम समय में लोकायुक्त जांच के दायरे में आए थे।


केजीएमयू में कोरोना जांच किट की खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगे। आरोप हैं कि बाजार से महंगी दर पर वीटीएम किट खरीदी गईं। मामले का खुलासा हुआ तो अफसरों ने आनन-फानन आठ जून को टेंडर निरस्त कर दिया। आरोप हैं कि KGMU में 35.40 पैसे की दर पर वीटीएम किट खरीदी। ये वीटीएम किट यूपी मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन 8.97 या इससे कम में क्रय की जा रही हैं। अन्य प्रदेशों में भी केजीएमयू से सस्ती दर पर किट खरीदी जा रही हैं। वहीं RT-PCR जांच किट 50.40 की दर से खरीदी गईं। जबकि गुजरात में 23 रुपये व झारखंड में 28 रुपये में खरीदी गईं।
KGMU प्लास्टिक सर्जरी विभाग में डॉक्टर की भर्ती विवादों में हैं। शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्लास्टिक सर्जरी की सर्वोच्च डिग्रीधारी एमसीएच अभ्यर्थी का इस पद पर चयन नहीं हुआ। जबकि नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डीएनबी कोर्स करने वाले की भर्ती की गई। विभाग में सहायक आचार्य के पद पर भर्ती के लिए 10 जनवरी 2020 को विज्ञापन निकाला गया था। सामान्य वर्ग के दो पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसमें सात अभ्यर्थियों ने आवदेन किया था। जिसमें छह अभ्यर्थियों के पास एमएस व एमसीएच की उपाधि थी। केजीएमयू में शिक्षकों की नियुक्ति पर अंतिम मुहर कार्य परिषद में लिफाफा खुलने का बाद होता है। आरोप हैं कि आठ जनवरी की कार्यपरिषद की सदस्य व अभ्यर्थी की मां बैठक में मौजूद थीं।
केजीएमयू में शोध सहायक व शोध अधिकारी के पदों पर सीधी भर्ती का प्रावधान है। इन दोनों पदों पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता भिन्न है। आरोप हैं कि केजीएमयू की तय नियमावली के तहत शोध सहायक से शोध अधिकारी के पद पर पदोन्नति करने का कोई प्राविधान नहीं है। पर, यहां नियमों की अनदेखी हुई है।केजीएमयू अधिनियम के तहत प्रत्येक संकाय का एक अध्यक्ष होगा। जो आचार्य में रोटेशन से वरिष्ठता के क्रम में तीन साल के लिए चुना जाएगा। इसके बावजूद दो सदस्यों को दोबारा संकायाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

रिपोर्ट – आर डी अवस्थी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *