वैश्विक चुनौतियों के बावजूद छह वर्ष में बढ़ा देश का आत्मविश्वास!

हरीशचंद्र श्रीवास्तव
(लेखक सामाजिक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

2014 में देश ने चुनाव नया नेतृत्व :

26 मई, 2014 को जब नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो जहां देश का बड़ा वर्ग आशान्वित हुआ था, वहीं एक छोटा वर्ग ऐसा भी था, जिसने शंका—आशंका और भ्रम का वातावरण निर्मित करने का प्रयास किया। जनता ने प्रचंड बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया था। भाजपा की यह प्रचंड विजय स्पष्ट संकेत था कि कांग्रेस सरकार के नकारेपन, कुशासन, भ्रष्टाचार, परिवारवाद, महंगाई, अर्थव्यवस्था की बुरी स्थिति, उपेक्षित होती रही देश की रक्षा शक्ति और कमजोर नीतियों के कारण पड़ोसी देशों की रोज—रोज की घुड़की से देश की जनता हताश व निराश तो थी ही, साथ ही जनता को मोदी के नेतृत्व और भाजपा की नीतियों से बहुत आस थी और उसे यह विश्वास था कि जिस मोदी मॉडल ने गुजरात राज्य का कायापलट करके दिखाया है, उस माडल और वैसे ही नेतृत्व की आवश्यकता देश को है।

पहले कार्यकाल में मोदी ने जीता जनता का विश्वास:

2014 से 2019 तक मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में जनता की आशा विश्वास में रूपांतरित हो चुका था। 2019 में जनता ने मोदी जी को पिछली बार से प्रचंड बहुमत से विजय दिलायी। इस विश्वास का सबसे बड़ा प्रतिफल यह हुआ कि देश का आत्मविश्वास पुन: लौट आया। विशेषकर युवावर्ग की ऊर्जा और लक्ष्य आकार लेने लगा, उद्यमियों में एक विश्वास जगने लगा, बाजार आशान्वित हो उठे और लचर राजनीतिक नेतृत्व के कारण दशकों से जनमानस में बैठी नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मकता की ऐसी कोंपल उगने लगी, जिसमें जनता ने प्रजा होने का भाव छोड़कर राष्ट्र के निर्माण, देश के विकास व सुदृढ़ता में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका देखने और अनुभव करने लगी।

दशकों से लंबित मुद्दों पर सरकार ने काम किया :

इन छह वर्षों में मोदी सरकार पर जनता का यह विश्वास यूं ही नहीं जमा। 60 वर्षों से जनता की भावना और जनजीवन से जुड़े जिन विषयों की उपेक्षा की गयी थी, जिन्हें सुलझाने के बजाय उलझाया गया था, ऐसे विषयों पर मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के प्रथम दिवस से ही ठोस कार्य शुरू किया गया। राम मंदिर, अनुच्छेद 370, तीन तलाक ऐसे ही विषय थे, जो भारत की जनता की भावनाओं व कल्याण से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे, किंतु कांग्रेस की सरकारों ने वोटबैंक व तुष्टिकरण की राजनीति के चलते न केवल ठंडे बस्ते में ही डाला था, अपितु इनको इस प्रकार उलझा दिया था कि इसका समाधान असंभव लगने लगा था। वोटों की चिंता किये बिना मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही अनुच्छेद 370 हटाने का साहसी निर्णय लेकर कश्मीर का भारत के साथ पूर्ण एकीकरण किया, मुसलमान औरतों पर अत्याचार व अपराध करने वाले तीन तलाक की कुप्रथा को हटाया। मोदी सरकार ने राममंदिर के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर करने का पूर्ण मनोयोग से प्रयास किया और आज भव्य राममंदिर का निर्माण भी प्रारंभ हो चुका है।

विकास का मोदी मॉडल एकीकृत व समग्र विकास के सिद्धांत पर आधारित है। ऐसे में आर्थिक नीतियों में सुधार और अर्थव्यस्था की सुदृढ़ता में भारत के प्राकृतिक संसाधन, मानव संसाधन, प्रतिभा और संभावना के अनुसार नीतियों का निर्माण व क्रियान्वन आवश्यक था, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शासन का लक्ष्य बनाया। स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत व सफलता इन्हीं लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए ऐसे बड़े कदम थे, जिससे देश की युवा शक्ति व उद्यम जगत में नई ऊर्जा का संचार हुआ।

स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक शौचालय का निर्माण कराना, स्वतंत्रता के बाद से अब अंधेरे में रहे 18000 गांवों तक बिजली पहुंचाना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, श्रमयोगी मानधन योजना, छोटे व्यापारियों को पेंशन, 34 करोड़ लोगों का जनधन खाता खुलवाना, 9 करोड़ महिलाओं को उज्जवला रसोई गैस, 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन से जोड़ना, मुद्रा योजना, प्रत्येक घर में नि:शुल्क बिजली कनेक्शन देने की सौभाग्य योजना के अंतर्गत 2 करोड़ 47 लाख घरों में बिजली का कनेक्शन देना, केवल 1 रुपया प्रतिमाह के प्रीमियम पर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के रूप में लगभग 21 करोड़ गरीब भाई-बहनों को बीमा सुरक्षा कवच प्रदान करना, देश के 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपए तक की नि:शुल्क उपचार योजना आयुष्मान भारत, ‘एक राष्ट्र एक राशनकार्ड’, तमिलनाडु के मदुरै से लेकर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा तक और गुजरात के राजकोट से लेकर असम के कामरूप तक नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ‘एम्स’ बनाना, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक व्यक्ति को मकान देना, अनुसूचित जनजाति व जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम को और सख्त बनाकर वंचित समुदाय को सामाजिक सुरक्षा देना, पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए संवैधानिक पिछड़ा वर्ग आयोग बनाना, अनारक्षित जाति अर्थात के निर्धनों के लिये संविधान का 103वां संशोधन करके आरक्षण का प्रावधान करना आदि ऐसी जाने कितनी योजनाएं हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने चलाया है। किंतु किसी भी देश में जब तक विकास और कल्याण की अवधारणा एकीकृत व समानांतर नहीं चलेगी, उस देश में विकास खोखला होगा।

ठोस विकास के लिये आवश्यक है कि देश की अर्थव्यवस्था और बाजार का विस्तार हो और देश की प्रतिभाओं को अवसर की प्रचुर उपलब्धता हो। इसीलिए जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम का प्रांरभ किया तो उससे पूर्व कौशल विकास की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की और 7 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, 7 भारतीय प्रबंधन संस्थान, 14 त्रिपल आईटी, एक एनआईटी और 4 एनआईडी की स्थापना की पहल की। साथ ही मुद्रा योजना, स्टार्ट अप योजना और स्टैंड अप इंडिया योजना तैयार करके देश में उद्यमी तैयार करने की योजना पर तीव्र गति से आगे बढ़ी। मोदी सरकार बैंकों का विलय करके देश में ऐसी विश्वस्तरीय बैंकिंग प्रणाली की स्थापना के लक्ष्य पर आगे बढ़ रही हैं, जहां भारत के बैंकर विश्व के वित्त पोषण, परामर्श व प्रबंधन का नेतृत्व करें।

मोदी की सुनियोजित कार्यशैली:

मोदी सरकार प्रथम व द्वितीय के छह वर्ष के कार्यकाल में इन योजनाओं का परिणाम दिखने लगा। देश के युवाओं, उद्यमियों, प्रतिभाओं को यह स्पष्ट दिखने लगा कि भारत अब संभावनाओं का देश बन चुका है। बीते छह वर्ष में भारत ब्रिटेन, फ्रांस जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। अब भारत मोबाइल फोन बनाने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। मेक इन इंडिया के अंतर्गत आंध्र प्रदेश में एशिया के सबसे बड़े मेडटेक जोन की स्थापना हो रही है और भारत को विश्व का रक्षा उत्पादन व विनिर्माण केंद्र बनाने के लिये तमिलनाडु व उत्तर प्रदेश में रक्षा कोरीडोर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। देश का चित्र बदलने वाले मोदी सरकार के इतने कार्य हैं कि उन सबके विषय में लिखा जाए तो पुस्तक लिखनी पड़ेगी।

जिस देश को कांग्रेस की सरकार ने खोखला बना दिया था, मोदी सरकार ने 2014 से 2019 के बीच देश को ठोस बनाने और भविष्य का भारत तैयार करने इन दोनों मोर्चों पर एकसाथ काम किया, जिसका परिणाम हमारे सामने है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 12 माह की रिपोर्ट कार्ड देखें तो इसमें भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना से लेकर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 और तीन तलाक को समाप्त करने तथा नागरिकता संशोधन कानून सीएए पारित करने की उपलब्धियां हैं। सड़क सुरक्षा, आतंकवाद पर लगाम और बैंकों के विलय जैसे कई ऐतिहासिक और साहसिक फैसले भी मोदी सरकार द्वारा लिये गये। इसके अतिरिक्त किसानों की दशा और दिशा को बेहतर बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण बदलाव के निर्णय भी लिये गये।

इस वर्ष के प्रारंभ होते ही विश्व कोरोना महामारी की चपेट में आ गया और भारत भी इससे प्रभावित हुआ है। किंतु इस महामारी से निपटने में जिस कौशल व प्रभावशीलता का परिचय मोदी सरकार ने दिया है, वह उल्लेखनीय है और पूरा विश्व प्रधानमंत्री मोदी की प्रंशसा कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भविष्य के भारत को आकार देने की गति और तेज करते हुए इस महामारी को अवसर में लिया है और इस महामारी से निपटने में विश्व का नेतृत्व करने के साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने का वो लक्ष्य निश्चित किया है, जो 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को पूरा करने के साथ भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने तथा देशवासियों को सशक्त करने की दिशा में ले जायेगा। कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव से निपटने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हम सबका सपना ही नहीं जिम्मेदारी भी है। इसके लिए आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलना होगा। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भूमि, श्रम, तरलता के साथ अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, पद्धति और जनसंख्या के पांच स्तंभ चिह्नित किए हैं, जिन पर आत्मनिर्भर भारत का भव्य प्रासाद तैयार होगा। आत्मनिर्भरता स्वदेशी वस्तुओं और विश्व के बाजार में भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करेगा। यही कारण है कि इस पैकेज में मोदी सरकार ने कुटीर उद्योग, लघु उद्योग, मंझले उद्योग और किसान पर विशेष रूप से फोकस किया है।

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सकारात्मक रूप से रूपांतरित हो रहा है, बढ़ रहा है और सशक्तिकरण की राह पर अग्रसर है। यह सशक्तिकरण सामाजिक भी है, आर्थिक भी है और सामरिक भी। एक ओर नये भारत ने सीमा पार आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके तथा सीमा पर शत्रु देशों को मुंहतोड़ जवाब देकर अपनी ‘नई नीति और नई रीति’ का परिचय दे दिया है तो दूसरी ओर देश के भीतर आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध पर कठोर कार्रवाई करके स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब केवल आगे बढ़ेगा। पिछले ही वर्ष भारत उन चुनिंदा देशों की पंक्ति में शामिल हुआ है जिनके पास परमाणु त्रिकोण की क्षमता है। कुल मिलाकर मोदी सरकार के छह साल और विशेषकर दूसरे कार्यकाल यह एक वर्ष भारत के उस भविष्य की ओर संकेत करता है, जो विश्व का अगुवा होगा, सशक्त होगा, सबल होगा और समृद्ध होगा।

लेख – हरीशचंद्र श्रीवास्तव
(लेखक सामाजिक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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