शिवरात्रि पर शिवमय हुई काशी, हर हर महादेव के नारे के साथ पंच कोशी यात्रा शुरु।

वाराणसी। हर हर महादेव के नारों से काशी का कण-कण गूंज रहा है।  मौका है महाशिवरात्रि का भगवान भोलेनाथ काशी के हर देवालयों में वास करते हैं। शास्त्रों में भी कहा गया है कि शिवरात्रि के दिन ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग के उदय से हुआ। इसी दिन माता पार्वती का विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ हुआ।

शिवरात्रि का मौका है तो बात हम तीनों लोकों से प्यारी काशी की करेंगे। देर रात से ही पतित पावनी मां गंगा के तट पर शिवभक्तों का तांता लगा हुआ है। गंगा में स्नान के बाद भक्त काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग पर जल अभिसिंचित करते है। काशी की एक अति प्राचीन परंपरा है पंचक्रोशी यात्रा की. माना जाता है की यह सबसे लंबी 11 मील की यात्रा होती है. शिवभक्त गंगा स्नान के बाद विश्वेश्वर जी के दर्शन से इस यात्रा की शुरुआत करते हैं।

काशी के सभी छोर पर स्थित देवालयों के दर्शन करते हैं शिवभक्त।भीमचंडी, रामेश्वर में दर्शन के बाद पड़ाव, कपिलधारा होते हुए साक्षी विनायक पहुंकर यात्रा पूरी करते हैं।

इस पूरे पंचक्रोशी यात्रा काल में 108 तीर्थस्थलों और शिवालयों सहित अन्य मंदिरों में भी दर्शन पूजन करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार 56 शिवलिंग, 11 विनायक ,10 शिवगण,10 देवियों,4 विष्णुओं, 2 भैरवों, 15 तीर्थों का दर्शन करते हैं शिवभक्त।

पंचक्रोशी यात्रा को लेकर युवाओं में अब खासा क्रेज देखने को मिल रहा है। पिछले 4 से 5 सालों में पंचक्रोश यात्रा में युवा बढ चढकर हिस्सा ले रहे हैं।

आज शाम से ही गंगा के घाट पर शिवभक्तों का रेला लगा हुआ है। हर हर महादेव के नारों से पूरा वातावरण शिवमय हो गया है। ऐसा लग रहा है मानों इंसान के रुप में पूरा देवलोक काशी में ऊमड़ पड़ा हो।

रिपोर्ट – पुरुषोत्तम सिंह, वाराणसी

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