रिपोर्ट – दीपक मिश्रा
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते ही शिवपाल यादव से उनके मतभेद जगजाहिर हो गए थे। अखिलेश रामगोपाल और शिवपाल के त्रिकोण के बीच मतभेद उस समय, इस कदर झगड़े में तब्दील हो गए थे की हजारों करोड़ रुपयों की भी चर्चा सरकार रहते ही चारों ओर होने लगी थी।
कुछ बातें रामगोपाल ने कही थी कुछ अखिलेश ने और बहुत कुछ शिवपाल ने भी कहा था।प उत्तर भारत की राजनीति पर बड़ा प्रभाव रखने वाले यदुवंशी क्षत्रियों के झगड़े से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ और कुछ बहुजन समाज पार्टी को भी।
विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता पर आसीन हो गई वहीं विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के बावजूद सपा को नुकसान हुआ बसपा को फायदा हुआ। चाचा शिवपाल लगातार अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचाने में जुटे रहे विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी शिवपाल के अभियान से शिवपाल को भले ज्यादा फायदा ना हुआ हो लेकिन समाजवादी पार्टी को जरूर भारी नुकसान हुआ और इन परिस्थितियों के बीच शिवपाल यादव भाजपा नेतृत्व के थोड़ा नजदीक जरूर आ गए जिसकी वजह से उन्हें कुछ फायदे भी हुए।
लेकिन पिछले कई वर्षों से सत्ता की चमक और धमक से दूर रहने के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव दोनों को यह समझ में आया की अपने और अपनों के फायदे के लिए सत्ता जरूरी है और सत्ता के लिए राजनैतिक ताकत जरूरी है और राजनीतिक ताकत के लिए परिवार में एकजुटता जरूरी है।
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने का जो पत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था उस पर अब समाजवादी पार्टी कार्रवाई नहीं चाहती। शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के टिकट से जसवंतनगर से चुनाव जीते थे और अखिलेश की खिलाफत करते हुए भी पिछले 3 वर्षों से सपा के ही विधायक हैं बीच में अखिलेश उनसे नाराज हो गए थे तो समाजवादी पार्टी ने उनकी सदस्यता वापस लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेज दिया था लेकिन पिछले कुछ दिनों में शिवपाल और अखिलेश के बीच खटास कम हुई है।
माना जाता है कि इसकी पहल शिवपाल यादव ने की है और शिवपाल यादव की पहल का अखिलेश ने भी सकारात्मक जवाब दिया है शिवपाल के नरम रुख को देखते हुए अखिलेश यादव ने पार्टी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को नया पत्र भिजवाया और यह कहल दिया कि समाजवादी पार्टी शिवपाल की सदस्यता वापस लेने के लिए कार्रवाई नहीं चाहती है।
अखिलेश की मेहरबानी से शिवपाल इतने गदगद हुए कि उन्होंने बाकायदा मीडिया में पत्र सार्वजनिक करके अखिलेश यादव को धन्यवाद दिया और उनके नेतृत्व में बड़े राजनीतिक परिवर्तन की भविष्यवाणी भी कर दी, संदेश दे दिया कि खुद वह भी अखिलेश यादव के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं।
फिलहाल सोशल मीडिया पर शिवपाल का पत्र खूब वायरल हो रहा है लोग समझ गए हैं कि नौजवान भतीजे के आगे अब बुजुर्ग चाचा विनम्र हो गए हैं और सैफई परिवार के बीच आई दरारों को भरने की कोशिश तेज हो गई है।