समान शिक्षा नीति लागू किए बगैर समरसता और अवसरों में समानता की बातें सिर्फ छलावा- बाबू सिंह कुशवाहा

पूर्व कैबिनेट मंत्री और जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा है कि जब तक देश में सभी वर्गों के विद्यार्थियों के लिए समान शिक्षा की नीति लागू नहीं होती तब तक देश में सामाजिक समरसता और अवसरों की समानता को उपलब्ध कराने वाली व्यवस्था स्थापित नहीं हो पाएगी । भारतीय संविधान की प्रतिज्ञा को वास्तविकता में लागू करने की मांग करते हुए बाबू सिंह कुशवाहा कहते हैं कि हमारे संविधान ने देश में समतामूलक समाज की स्थापना की बात कही थी लेकिन आज भी देश में ऊंच-नीच छोटे बड़े अमीर गरीब का फर्क बहुत ज्यादा है।

आज भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे दयनीय जीवन जी रहे हैं और यह समस्या छात्र-छात्राओं और विद्यार्थियों के जीवन को सर्वाधिक प्रभावित कर रही है युवाओं और किशोरों को प्रभावित कर रही है ।
बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि पूरे देश में समान शिक्षा दी थी और समान पाठ्यक्रम की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे सभी वर्गों अमीर गरीब सभी के बच्चे एक जैसी शिक्षा व्यवस्था को ग्रहण करते हुए आगे बढ़े ।

इस व्यवस्था को लागू करने से युवा पीढ़ी में आपसी समझ और समरसता एक दूसरे के प्रति सम्मान का विकास होगा साथ ही साथ अवसरों के प्रति भी वास्तविक समानता का सृजन होगा क्योंकि समान शिक्षा नीति के जरिए ही समतामूलक समाज की स्थापना हो पाएगी । बाबू सिंह कुशवाहा कहते हैं कि एक तरफ आईसीएसई ओर सीबीएसई बोर्ड अंग्रेजी माध्यम में कान्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे हैं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों मैं पढ़ने वाले बच्चे हैं कई बार स्कूलों की पढ़ाई में इतना फर्क होता है कि आगे चलकर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने में बच्चों को बहुत दिक्कत आती है उनका मानसिक विकास और आत्मबल भी कमजोर रह जाता है कई बार बच्चे हीन भावना से भी ग्रस्त होते हैं इसलिए देश में समान शिक्षा नीति संविधान की मंशा के अनुसार बहुत आवश्यक है।

द इंडियन ओपिनियन, लखनऊ

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