सरल सुशिक्षित सज्जन! औरों से अलग हैं तनुज पुनिया, जनता से है परस्पर भरोसे का रिश्ता?

बाराबंकी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं में वर्ष 2017 में एक सरल सौम्य सज्जन और सुशिक्षित नौजवान शामिल हुआ जिसे विरासत के तौर पर पिता की पहचान मिली लेकिन आईएएस की तैयारी छोड़कर राजनीति के माध्यम से समाज सेवा का संकल्प लेकर आए इस नौजवान ने लोगों से अपने व्यवहार में कभी भी अहंकार लेश मात्र भी झलकने नहीं दिया।

विनम्रता और सदव्यवहार से बनाई अलग पहचान:
गरीब अमीर हर किसी से प्रेम सज्जनता और विनम्रता से पेश आने वाले तनुज पुनिया ने जातिवाद और सांप्रदायिकता के कांटों में उलझी राजनीत की लड़ाई में अभी तक विजय भले नहीं हासिल की है लेकिन बाराबंकी के लाखों लोगों के दिलों में जरूर उन्होंने प्रेम और सम्मान हासिल किया है। सामर्थ्वान परिवार से होने के बावजूद गरीबों दलितों के बीच में प्रतिदिन लंबा समय बिताने वाले तनुज बाराबंकी की राजनीति के सबसे सज्जन और युवा कार्यकर्ताओं में शायद शीर्ष पर माने जाते हैं।
कोई भी उनसे फोन पर बात करें या आमने-सामने मुलाकात करें उनका मुस्कुराता हुआ सौम्य व्यक्तित्व एक बार सामने वाले को आकर्षित जरूर करता है । कोई उन्हें अपनी समस्या बताएं या फिर शिकायत अपनेपन के साथ तनुज जनता और कार्यकर्ता की पूरी बात सुनते हैं ।

पहले चुनाव में ही जनता ने 82000 से ज्यादा वोट देकर दिया आशीर्वाद:

उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें 2017 से अब तक तीन बार चुनाव लड़ने का अवसर प्रदान किया। वह दो बार विधानसभा का चुनाव 1 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं ।
जब कोई उनसे लगातार तीन चुनाव हारने की चर्चा करता है तब वह मुस्कुराते हुए कहते हैं कि राजनीति में बहुत कुछ अर्जित करने की इच्छा लेकर नहीं आए हैं इसीलिए नफा नुकसान और फायदे की ज्यादा फिक्र नहीं है । पहले आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते थे लेकिन पिता जी से चर्चा करने के बाद राजनीतिक धरातल पर उतरने का निर्णय लिया और लोगों की सेवा करके उनके दिलों में जगह बनाना चाहते हैं । भले ही इसके लिए समय लगे लेकिन यह भरोसा है की जनता जरूर उन्हें संवैधानिक जनप्रतिनिधि बनने का मौका देगी जिससे वह क्षेत्र प्रदेश और देश के विकास में योगदान दे सकें।

राजनीति और कूटनीति नहीं आती जनसेवा की नीति पर चलने का प्रयास कर रहे:

2017 से जब से तनुज पुनिया बाराबंकी की राजनीति का हिस्सा बने हैं तभी से वह लगातार लोगों के बीच सक्रिय हैं। कोई चुनाव नजदीक हो या फिर चुनाव में कई वर्षों का समय हो तनुज पुनिया ने मुनाफे की राजनीति को प्राथमिकता पर नहीं रखा संवेदनशील व्यक्तित्व के साथ पवित्र हृदय के साथ लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं । द इंडियन ओपिनियन से बातचीत करते हुए तनुज पुनिया कहते हैं कि “हमें राजनीति और कूटनीति नहीं आती और ना ही आजकल के नेताओं की तरह हम जनता से झूठे वादे करके वोट लेना चाहते हैं हम जनसेवा और देश सेवा के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं।”

2022 के चुनाव में एक बार फिर जनता के सामने फैसले की घड़ी नजदीक है । सभी दावेदार और प्रत्याशी फिर जनता के हितैषी दिखाई पड़ने के लिए मैदान में दौड़ लगा रहे हैं तनुज पुनिया अपने पुराने क्रम के अनुसार ही पहले की तरह लोगों के बीच बने हुए हैं।

उनके समर्थकों को उम्मीद है कि धनबल जातिवाद और सांप्रदायिकता के मायाजाल में कई बार राजनीतिक दल और प्रत्याशी जनता को उलझा लेते हैं लेकिन धीरे-धीरे जनता यह समझ रही है कि कौन उसका वास्तविक शुभचिंतक है ।

जनता को मिले मतदान रूपी लोकतांत्रिक अधिकार की वास्तविक सफलता तभी सुनिश्चित होगी जब वह सोच विचार कर अच्छे प्रत्याशियों को विधानसभा की ओर भेजें।

द इंडियन ओपिनियन
बाराबंकी

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