रिपोर्ट – दीपक मिश्रा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के तुगलकी फरमान को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई और मरीजों की मुसीबत बढ़ाने वाले आधारहीन आदेश को निरस्त करवा दिया।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग मे चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक के के गुप्ता ने 22 मार्च को जारी आदेश में यह कहा था कि कोविड-19 के लेवल 2 और लेवल 3 के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन अपने पास रखने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि इससे संक्रमण फैलता है।
इस आदेश के मीडिया में सार्वजनिक होने के बाद प्रदेश सरकार की जमकर आलोचना हुई लोगों ने यह कहा कि जो मरीज पहले से ही गंभीर बीमारी से परेशान हैं तनाव और अकेलेपन का शिकार हैं आइसोलेशन वार्ड में जहां उनके परिजन भी उनके पास नहीं होते हैं वहां मोबाइल फोन ही उनका सहारा है जिसके जरिए वह अपने परिजनों के संपर्क में रहते हैं और अपना समय व्यतीत करते हैं।
ऐसे में मोबाइल फोन ना होने से कोविड-19 अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीज मानसिक तनाव का शिकार होंगे और उनकी हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ेगी इस बात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ट्विटर पर संदेश जारी करके इस आदेश की आलोचना की थी और इसे वापस लेने की मांग की थी।
देश की कई प्रमुख हस्तियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संदर्भ में कार्रवाई करने के लिए कहा जिसके बाद नाराज हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों की बैठक बुलाकर कड़ी फटकार लगाई और तत्काल इस आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने नया आदेश जारी करते हुए पुराने आदेश को निरस्त कर दिया है और अब कोविड-19 अस्पतालों में भी में मरीज अपने पास मोबाइल रख रख सकेंगे।
योगी सरकार के नए आदेश को लेकर लोगों ने राहत की सांस ली है और मुख्यमंत्री को आभार प्रकट किया है।