6 माह में एक परिवार की 5 बेटियां हुई गूंगी-बहरी, डॉक्टरों की टीम ने जांच कर भेजी रिपोर्ट


हरदोई। बावन कस्बे में बेटे की चाहत में एक परिवार की एक के बाद एक छः लडकियां हो गई। जिसमें चौंकाने वाली बात यह है कि पांच लडकियां गूंगी और बहरी है। जिससे गरीब परिवार पर पालने-पोसने व इलाज कराने के चलते मुसीबत आ गई है। सूचना पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मौके पर जांच-पड़ताल की। परिवार के गरीब होने पर सरकारी योजना से बच्चियों का इलाज कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रिपोर्ट भेजी हैं।


बावन कस्बे के मोहल्ला खेड़ा निवासी जामेद अली की छः बेटियां है। बेटे की चाहत में परिवार में एक के बाद एक छः बेटियां हो गई। बड़ी बेटी तबस्सुम 15 वर्ष की है, उसके बाद अलशिफा 11, नाजिया 9, महक 7, शायरा 5 और राबिया 2 वर्ष की है। इन बच्चों में सिर्फ सबसे छोटी बेटी राबिया ही बोल पाती है। बाकी जामेद की पांच अन्य बेटियां बोल नहीं पाती है, वह इशारे-इशारों में बात करती है। शुरू में बच्चे पास के प्राथमिक स्कूल में जाते थे, लेकिन वहां कुछ लिख-पढ़ नहीं पाने के चलते बच्चों ने स्कूल में जाना बंद कर दिया।


बावन सीएचसी से डॉ. इकराम हुसैन अपनी टीम के साथ जॉच-पड़ताल करने परिवार के बीच पहुंचे। उन्होंने मौके से जांच करने के बाद सीएचसी प्रभारी डॉ. पंकज मिश्रा को जानकारी दी। सीएचसी प्रभारी ने सभी बच्चों की बैरा नामक जांच कराकर रिपोर्ट दिखाने की बात कही है। आरबीएसके टीम के डॉ. इकराम हुसैन ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चियों का इलाज शुरू हो सकेगा।


आरबीएसके के डीआईसी मैनेजर मोहम्मद शाहिद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बोलने और सुनने की जिन बच्चियों को समस्या है, उन 0 से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों की सर्जरी हो सकती है। कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी आरबीएसके के तहत 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों की कराई जाती है। जिसमें इस परिवार के दो बच्चे शामिल है, उनकी सर्जरी मुफ्त में कराई जायेगी। लेकिन अन्य बच्चों की सर्जरी के लिए परिवार को खुद खर्च उठाना पड़ेगा। आरबीएसके के तहत 50 बीमारियों का ईलाज 0 से 19 वर्ष तक के बच्चों का कराया जाता है। लेकिन कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी में सिर्फ 0 से 5 वर्ष के बच्चों का ईलाज कराया जाता है।

रिपोर्ट: सत्येंद्र सिंह राठौर, “द इंडियन ओपनियन”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *