
30 नवम्बर 2020 को आर्यवर्त बैंक के इस तकनीकी युग में डिज़िलीकृत बैंकिंग सेवाओं को उपलब्ध कराने की दिशा में पिछड़ा होने पर इस समाचार चैनल द्वारा एक रिपोर्ट छापी गई थी , इस उम्मीद के साथ कि बैंक का प्रबंधतंत्र इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगा और इस बैंक के ग्राहकों को डिजिटल प्लेटफार्म पर ए टी एम , 24×7 आर टी जी एस, नेफ्ट , आई एम पी एस , यू पी आई और ऑन लाइन शॉपिंग जैसी आधारभूत आधुनिक बैंकिंग सुविधाएँ सुलभ हो सकेंगी और इस पिछड़ेपन के चलते दिनों दिन बैंक के व्यवसाय में होती गिरावट पर नियन्त्रण पाया जा सकेगा । पर ऐसा कुछ भी नही हुआ और पिछले लगभग 19 महीनों में इस दिशा में बैंक की प्रगति नगण्य है।
प्रवर्तक बैंक , बैंक ऑफ इण्डिया के मुख्य प्रबन्धक संवर्ग के एक वरिष्ठ अधिकारी इस बैंक में लगभग डेढ वर्ष पूर्व प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए थे और यह उम्मीद जताई गई थी कि उनके आने के बाद एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
कुछ समय पूर्व बड़े शोर गुल के साथ बैंक के ग्राहकों को अपने खाते का अवशेष जानने हेतु मिस्ड कॉल सुविधा प्रारम्भ की गई । यह सेवा ग्राहकों के लिए कितनी उपयोगी साबित हुई है यह वह ही बता सकते हैं।
पिछली रिपोर्ट छपने के समय तक बैंक की सभी शाखाओं का आई एफ एस कोड एकल था। यदि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इतने बड़े बैंक की समस्त शाखाओं को प्रवर्तक बैंक की एक शाखा मानते हुए एकल आई एफ एस कोड आवण्टित था। अब बताया जा रहा है कि बैंक की समस्त शाखाओं को अलग अलग आई एफ एस कोड आवण्टित कर दिया गया है परन्तु तकनीकी कारणों से यह नई व्यवस्था निर्बाध रूप से कार्य नहीं कर रही है । यानी कि कुल मिलाकर परिणाम है कि ” नौ दिन चले अढ़ाई कोस “।
पूरे बैंक में एक अजीब उपापोह की स्थिति बनी रहती है। कोई नई सुविधा तो शुरू नही की जा रही है और जो सुविधाएँ हैं भी तो उनकी विश्वीस्नीयता हमेशा सन्देह के घेरे में रहती है। धीमी कनेक्टिविटी, आर टी जी एस और नेफ्ट का फेल होना, ऑन लाइन बल्क ट्रांजेक्शन की धनराशि का सही खातों में विलम्ब से या फिर नहीं पहुंचना कुछ ऐसे बिन्दु हैं जो बैंक व्यवसाय को दिन प्रतिदिन के आधार पर प्रभावित कर रहे है और जिसका ठीकरा प्रबंधतंत्र द्वारा स्टाफ पर फोड़ दिया जाता है।
अभी कुछ समय पूर्व प्रवर्तक बैंक में फिनेकल का अप ग्रेडेशन हुआ था । एक महीने तक आर्यवर्त बैंक में आर टी जी एस और नेफ्ट ठप रहे। इस अवधि में कई पेट्रोल पम्पों और बड़े व्यवसायियों के खाते अन्य बैंकों में अन्तरित हो गए। इसकी ज़िम्मेदारी किस पर तय की जाएगी?
इस विषय का सबसे रोचक पहलू यह है कि जब व्यववसाय समीक्षा बैठकों में इस विषय को स्टाफ द्वारा उठाया जाता है तो उनको सलाह दी जाती है कि आप लोग ग्राहकों को समझाइए कि आज कल ऑन लाइन फ्रॉड बहुत बढ़ गए है और हमारा बैंक भले ही डिज़िलीकृत सेवाओं के मामले में पिछडा हुआ हो लेकिन उनका पैसा यहाँ सुरक्षित है । यह सलाह कुछ वैसी ही है कि ” यदि हम आँख नहीं खोलेंगे तो सूर्य देवता प्रकट नहीं होंगे “।
ग्राहकों की ही क्यों अगर स्टाफ सदस्यों और पेंशनर्स की बात करें तो अधिकाँश ने अन्य बैंकों में अपने खाते खुलवा रक्खे हैं और अधिकतर धनराशि इन्ही खातों में रखते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग कर सकें ।
दिनाँक 26/4/2022 को वी सी के माध्यम से इस विषय पर बैंक ऑफ इण्डिया , आई टी विभाग, प्रधान कार्यलय द्वारा अपने प्रवर्तित तीनो ग्रामीण बैंकों की बैठक की गई। इस बैठक की अध्यक्षता बैंक ऑफ इण्डिया के ईडी महोदय द्वारा की गई। इसमें तीनों ग्रामीण बैंकों के अध्यक्ष सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इस मीटिंग के मिनट्स से यह स्पश्ट हो जाता है कि बहुत जल्द इस दिशा में कुछ खास प्रगति नहीं होनी है । इन मिनट्स का बिन्दु 21 तो आपको अन्दर तक झकझोर जाएगा जो कहता है कि आर आर बी सर्वर्स की 95 प्रतिशत स्टोरेज क्षमता का उपयोग किया जा चुका है और मात्र 5 प्रतिशत शेष है । क्या होगा जिस दिन बची हुई क्षमता का भी उपयोग पूर्ण हो जाएगा?
पिछली बार की तरह इस बार भी हमने अध्यक्षीय सचिवालय को दिनाक 7जून 2022 को एक ई मेल के माध्यम से बैंक का पक्ष जानने का अनुरोध किया था और दिनांक 21 जून 2022 को इस सम्बन्ध में एक अनुस्मारक भी दिया था परन्तु खेद का विषय है कि इस बार भी बैंक ने अपना पक्ष रखना उचित नहीं समझा। अतः हम सिर्फ अपना पक्ष पाठकों के सामने रख रहे है।
प्रधानमंत्री जी की सशक्त ग्रामीण भारत की परिकल्पना आर्यवर्त बैंक जैसे डिजिटलीकरण मैं पिछड़े बैंक के माध्यम से नहीं हो सकती है। अति आवश्यक है कि वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड और संस्थागत वित्त निदेशालय उत्तर प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट का संज्ञान लें और इस दिशा में प्रभावी और सार्थक निर्देश इस बैंक और प्रवर्तक बैंक को जारी करें और अपने द्वारा नामित इस बैंक के निदेशक मण्डल के सदस्यों को भी मासिक आधार पर इस विषय में हुई प्रगति की समीक्षा करने को कहें ।
यह एक अकाट्य सत्य है कि जब तक यह बैंक डिज़ीटिलिकरण के मामले में अन्य बैंकों के समकक्ष नहीं आ जाता उनसे व्यवसाय संवर्धन में प्रतिस्पर्द्धा करना आँखें खोलकर स्वप्न देखने से अधिक कुछ भी नहीं है ।
विकास चन्द्र अग्रवाल – द इण्डियन ओपिनियन