21 साल की उम्र में बन गए थे सिविल सर्वेंट,जानिए कौन थे देश के पहले आईएएस ऑफिसर-

भारत में भारत में सिविल सर्विस एग्जाम (Civil Service Exam) की शुरुआत साल 1854 में अंग्रेजों ने की थी। इस एग्जाम के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 23 साल तय की गई. उस समय भारतीयों के लिए परीक्षा काफी कठिन थी और उनका सिविल सर्वेंट के तौर पर सेलेक्शन काफी मुश्किल था।

संसद की सेलेक्ट कमेटी की लॉर्ड मैकाले की रिपोर्ट के बाद सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत की गई थी,जबकि इससे पहले सिविल सर्वेंट्स का सेलेक्शन ईस्ट इंडिया कंपनी के निर्देशकों द्वारा किया जाता था और फिर उन्हें ट्रेनिंग के लिए लंदन के हेलीबरी कॉलेज भेजा जाता था और फिर भारत में उनकी पोस्टिंग होती थी।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) को सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। और हर साल लाखों छात्र इसमें शामिल होते हैं, लेकिन कुछ को ही सफलता मिल पाती है। इस एग्जाम के जरिए ही देश में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस का चयन होता है. टॉप रैंक हासिल करने वालों को आईएएस रैंक दी जाती है। इस एग्जाम के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 23 साल तय की गई। उस समय भारतीयों के लिए परीक्षा काफी कठिन थी और उनका सिविल सर्वेंट के तौर पर सेलेक्शन काफी मुश्किल था।

सत्येंद्रनाथ टैगोर ने साल 1863 में सिविस सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की और आईएएस अफसर बने। सत्येंद्रनाथ टैगोर, रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बड़े भाई थे और आधिकारिक तौर पर भारत के पहले आईएएस अफसर थे सत्येंद्रनाथ टैगोर ने इंग्लैंड में रहकर की तैयारी।

सत्येंद्रनाथ टैगोर का जन्म 1 जून 1842 को कोलकाता में हुआ था और जब वे आईएएस अधिकारी बने,तब उनकी उम्र महज 21 साल थी। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई कोलकाता के हिंदू स्कूल से की थी. साल 1857 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी (Calcutta University) के लिए एग्जाम देने वाले पहले छात्रों में से एक थे।

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

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