
लखनऊ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाक के नीचे वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते शासनादेश और स्थानांतरण नीतियों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है ।
हाल ही में स्थानांतरण सत्र के तहत तमाम विभागों में तबादले हुए हैं लेकिन इन तबादलों में तबादला नीति का पालन ना किए जाने को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं । सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर विभागों के कमजोर कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले उनकी इच्छा के विपरीत हुए हैं और ताकतवर लोगों के तबादले या तो हुए ही नहीं और या तो हुए उनके मनचाहे स्थानों पर हुए। इतना ही नहीं शासन के द्वारा निर्धारित नियम कानूनों को भी ताक पर रख दिया गया।

यह आरोप लगाया है उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय निदेशालय मिनिस्टीरियल सेवा संघ पदाधिकारियों ने । पदाधिकारियों ने नगर विकास मंत्री उत्तर प्रदेश शासन को पत्र भेजकर संघ के पदाधिकारियों ने हाल में हुए तबादलों पर भ्रष्टाचार और मनमानी का आरोप लगाते हुए या कहा है कि इन तबादलों में शासन द्वारा जारी शासनादेश और तबादला नीति का जमकर उल्लंघन किया गया है । स्थानीय निकाय निदेशालय और लखनऊ नगर निगम में कई वर्षों से बड़ी संख्या में अधिकारी कर्मचारी तैनात हैं उन्हें पदों से नहीं हटाया गया तबादला नीति के अंतर्गत आते हुए भी उनके तबादले नहीं गए किए गए जबकि नियमानुसार उनके तबादले अवश्य किए जाने थे ऐसे बड़ी संख्या में कर्मचारी हैं जो कई सालों से यानी 3 सालों से अधिक समय से एक ही पटल पर एक ही कार्यालय में तैनात हैं जबकि तबादला नीति यह कहती है कि जनपद में 3 वर्ष और मण्डल में 7 वर्ष से अधिक समय पूरा कर चुके अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले कर दिए जाने चाहिए।

संघ की ओर से नगर विकास मंत्री को शिकायत करते हुए इस मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की मांग की गई है यह भी कहा गया है कि लखनऊ नगर निगम में बहुत से कर्मचारी 10 वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं यही हाल नगर विकास निदेशालय का भी है ।
जब कुछ ऐसे भी कर्मचारी अधिकारी हैं जिनको मात्र एक 2 वर्ष की तैनाती के बाद ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया क्योंकि वह प्रभावशाली नहीं थे मंत्री को भेजे गए पत्र में तमाम तथ्य देते हुए गंभीर आरोप लगाए गए हैं । इस विषय पर नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा के मोबाइल नंबर पर बात करने का प्रयास किया गया परंतु फोन नहीं उठा।
द इंडियन ओपिनियन