रिपोर्ट – दीपक मिश्रा
कुछ दिनों पहले तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पूरी दुनिया में कोरोना से निपटने के लिए उम्मीद का बड़ा हथियार बन गई थी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया की हाइड्रोक्लोरिक क्वीन वह खुद रोज खा रहे हैं और इससे कोरोनावायरस से बचाव और मरीजों के उपचार में में काफी मदद मिल रही है।
भारत ने भी दुनिया के कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उपलब्ध करवाई, कुछ मरीजों में इसके सकारात्मक परिणाम देखे गए थे जिसके बाद दुनिया के कई देशों ने कोरोना के शुरुआती इलाज में हाइड्रोक्सी के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।
लेकिन ब्रिटेन के चिकित्सा विज्ञानियों के शोध में यह बात सामने आई है कि जिन कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों को हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन की खुराक नियमित रूप से दी गई उनमें हार्ट फेल और मृत्यु की दर ज्यादा पाई गई।
ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने यह पाया कि हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन का ज्यादा इस्तेमाल हृदय को कमजोर कर देता है और करोना संक्रमित व्यक्ति के मृत्यु की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
मीडिया सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य जगत में लोकप्रिय ‘द लांसेट’ नाम के जर्नल में यह शोध प्रकाशित होने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन के ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही कई मेडिकल कंपनियां जो दुनिया भर में कोरोना के लगभग 300 मरीजों पर HCQ का शोध कर रही थी उन्होंने फिलहाल अपने क्लीनिकल ट्रायल को स्थगित कर दिया है।
फिलहाल हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन के भरोसे कोरोना से निपटने की उम्मीद लगा रहे देशों को एक झटका लगा है लेकिन भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना का अंत करने वाली वैक्सीन पर गंभीरता से काम चल रहा है और यह उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर-नवंबर तक कोरोना को पराजित करने वाली ठोस दवा/ वैक्सीन मार्केट में उपलब्ध होगी।