अखिलेश के करीबी पूर्व मंत्री पवन पांडे ने रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य को दिया करारा जवाब!

द इंडियन ओपिनियन
लखनऊ

हिंदू समाज के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ रामचरितमानस के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के बाद पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की चारों ओर आलोचना हो रही है बसपाई रहे स्वामी के चक्कर में हो समाजवादी पार्टी होगी निशाने पर ले रहे हैं इसी बीच अखिलेश यादव के करीबी और पूर्व मंत्री पवन पांडे ने अपने फेसबुक पेज पर एक महत्वपूर्ण पोस्ट लिखकर रामचरितमानस को समाजवाद और सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा ग्रंथ कहा है और स्वामी प्रसाद मौर्य को करारा जवाब दिया है देखिए पांडे का पोस्ट।
रामचरितमानस समाजवाद का एक जीवंत उदाहरण है।

रामचरितमानस समन्वय का ग्रंथ है जो एकदूसरे के बीच सामंजस्य स्थापित करने, भाईचारा और बंधुत्व की भावना को प्रगाढ़ करने का संदेश देता है तथा रामचरितमानस नैतिकता की सबसे बड़ी पाठशाला है।

रामचरित मानस यह बतलाता है कि आदर्श भाई हो तो भरत जैसा हो, आदर्श पुत्र हो तो राम जैसा हो, आदर्श गुरु हो तो विश्वामित्र और वशिष्ठ जैसा हो, सेवक हो तो सुग्रीव और हनुमान जैसा हो, और यदि दुश्मन भी रावण जैसा महाबलशाली और महापराक्रमी हो तो भी न्याय के लिए उससे लड़ने में भयभीत नहीं होना चाहिए।

रामचरितमानस नैतिकता का सबसे बड़ा उदाहरण है भगवान श्रीराम जिस विचार से प्रेरित हैं वह यह कि वे सबके साथ एकात्म सम्बंध स्थापित करने, एकदूसरे को भाईचारे में बांधने के सबसे बड़े आदर्श हैं ।राम अगड़ी- पिछड़ी सभी जातियों में एक ऐसे सर्वहारा के प्रतीक हैं जो सबको साथ जोड़कर चलते हैं । वे निषादराज को गले लगाते हैं, वे बानर सुग्रीव और हनुमान को भी मित्रता में बांधते हैं, सबरी के झूठे बेर खाते हैं और वे गिद्धराज जटायु का अंतिम संस्कार भी करते हैं, वे अहिल्या का उद्धार करते हैं, अर्थात राम का जीवन हर रूप, हर अवस्था में श्रेष्ठ है।

भगवान श्रीराम में वे सभी गुण विद्यमान हैं जो जन्म लेने के बाद किसी परामानव में होने चाहिए, और ये गुण किसी भी आदर्श मनुष्य में हो सकते हैं । भगवान श्रीराम की इस जीवन पद्धति को तुलसीदास अपनी लोकभाषा अवधी में रचकर पूरे समाज को एकता के सूत्र में पिरोया है। रामचरितमानस के खिलाफ बोलने वाले वे लोग संकीर्ण मानसिकता के लोग हैं जो समाज को जातियों में तोड़ना चाहते हैं या उनका कोई गलत एजेंडा हो सकता है और ऐसे संतो की बुराई कर अपना कोई एजेंडा सिद्ध करना चाहते हैं, रामचरितमानस समाजवाद की सबसे बड़ी पाठशाला है।

भारत की संस्कृति दो महान ग्रंथो पर आधारित है जिसमे एक रामायण है तो दूसरा वेदव्यास जी द्वारा रचित महाभारत है, ऐसी महान संस्कृति और आदर्श जीवनशैली का संदेश देने वाला महाग्रंथ रामचरितमानस खराब कैसे हो सकता है , रामचरितमानस के बारे में गलत अवधारणा रखने वाले लोगों के बारे में मैं कहना चाहता हूं ये वे लोग हैं जो समाज में, देश में, जातियों में, रिश्तों में और उत्तर -दक्षिण में फूट डालना चाहते हैं, और उनका मकसद कभी कामयाब नहीं होने पायेगा।

जय अयोध्या, जय सियाराम ।

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