प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक कर्मचारी हैं और वे केंद्र सरकार द्वारा 2009 में संशोधित पेमेंट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
1997 के बाद रिटायर हो चुके सभी टीचर्स को प्राइवेट स्कूल ग्रेच्युटी का भुगतान करेंगे। प्राइवेट स्कूलों को ये भुगतान ब्जाय सहित 6 हफ्ते की भीतर करना होगा। कई हाईकोर्ट में केस हारने के बाद निजी स्कूलों ने 2009 के संशोधन को देश के शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उनके अनुसार, छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम 2009 की धारा 2(ई) के तहत कर्मचारी नहीं माना जाना चाहिए।
ग्रेच्युटी से जुड़ा कानून 1972 से ही लागू है। इस कानून के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी या संस्था में 5 साल या उससे ज्यादा काम कर चुका है, तो इस्तीफे या रिटायरमेंट के समय उसे ग्रेच्युटी दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताए गए संशोधन को लाने और दोष को दूर करने के लिए विधायी अधिनियम को बरकरार रखा। प्राइवेट स्कूलों ने इस मामले में कई उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया था। उन्हें दिल्ली, पंजाब और हरियाणा, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बॉम्बे और गुजरात हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’