गुरुवार को एक डॉलर की कीमत बढ़कर 79.90 रुपये के स्तर पर पहुंच गई। इससे केवल रिजर्व बैंक और सरकार की चुनौतियां ही नहीं बढ़ती हैं बल्कि उपभोक्ताओं की जेब भी हल्की होती है। रसोई से लेकर दवा और मोबाइल खरीदने पर भी कमजोर रुपये का असर होता है। कमजोर रुपये का असर रोजगार के मौके भी कम करता है। भारत जरूरी इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी के साथ मोबाइल-लैपटॉप समेत कई दवाओं का भारी मात्रा में आयात करता है, साथ ही 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ेगी।भारत खाद्य तेल का 60 फीसदी आयात करता है इसकी खरीद डॉलर में होती है। ऐसे में यदि रुपया कमजोर होता है तो खाद्य तेलों के दाम घरेलू बाजार में बढ़ सकते हैं।
रुपए के गिरावट के नए स्तर पर पहुंचने के बाद विशेषज्ञों को लगता है कि इसका असर तमाम कमोडिटी के आयात पर पड़ेगा और उसी के साथ उससे बनने वाला उत्पाद भी प्रभावित होगा। ऐसे में इन सभी चीजों के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इंडिया इंफोलाइन कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने हिंदुस्तान को बताया है कि देश में आयात महंगा होने से इन चीजों के दाम भी आने वाले दिनों में बढ़ जाएंगे। वहीं आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ योगेंद्र कपूर ने रुपए की गिरावट की वजह बताते हुए कहा कि भारतीय शेयर बाजार से लगातार विदेशी फंड वापस उन देशों में जा रहा है। यही वजह है कि बाजार में भी उतारचढ़ाव बना हुआ है और रुपया भी कमजोर हो रहा है।