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परिवर्तन जोन-6 में अवैध निर्माण चरम पर, अमीनाबाद एवं वज़ीरगंज क्षेत्र में अवर अभियंता के भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा,

लखनऊ। थाना अमीनाबाद एवं वजीरगंज अंतर्गत परिवर्तन जोन-6 में सुपरवाइजर एवं अवर अभियंता के संरक्षण में धड़ल्ले से चल रहे अवैध निर्माण,शर्मनाक बात तो यह है, कि पत्रकारों की आड़ लेकर बिल्डरों से करते हैं अवैध वसूली।

परिवर्तन जोन-6 के अमीनाबाद वजीरगंज क्षेत्र में चल रहे अवैध निर्माणकर्ताओं को दोनों हाथों से लूटने का काम कर रहे, सुपरवाइजर एवं अवर अभियंता।

अवर अभियंता ने मुख्यमंत्री पोर्टल IGRS को बना रखा है फर्जी निस्तारण का माध्यम।

पोर्टल पर शिकायत के जवाब में लिख देते हैं कि नोटिस जारी कर दी गई है। अग्रिम कार्रवाई की जा रही है। जबकि फ़र्ज़ी निस्तारण की आड़ में करते है वसूली और कराते हैं निर्माण को पूरा।

निर्माणाधीन बिल्डिंग पर जाकर अवर अभियंता, सुपरवाइजर से कहलाते हैं कि पत्रकार तुम्हारे निर्माण की शिकायत कर रहे हैं। इस निर्माण को जल्द पूरा करो, इसी आधार पर कराते है वसूली।

जिस बिल्डर से तालमेल बन जाता है। उस बिल्डिंग को पूरा निर्माण कराने की लेते है पूरी ज़िम्मेदारी। अगर कोई जानकारी मांगी जाए तो फर्जी रिपोर्ट लगा देते हैं।

एलडीए विभाग में सही जवाब मिलना मुंगेरीलाल के सपने जैसा हो गया है,

जब निर्माण की शिकायत विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी से की जाती है।

जिस अवर अभियंता के विरूद्ध शिकायत की जाती है। वही अभियंता रिपोर्ट लगाता है। अब वह कितनी इमानदारी से लगाएगा यह खुद में एक सोचनीय सवाल है।

अब मुख्यमंत्री पोर्टल को भी फर्जी निस्तारण का केंद्र बना दिया है अवर अभियंता ने,

मालूम हो कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी एवं बिल्डर कानून को दरकिनार कर बे-खौफ कराते है निर्माण, यही नहीं गैर क़ानूनी तरह से कराते बेसमेंट की खुदाई।

रात के अँधेरे में ट्रैक्टर ट्रॉली से बेसमेंट की मिट्टी को बाहर निकालकर कराते है तेजी से निर्माण।

सूत्रों की मानें तो लखनऊ विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से होता है अवैध खनन एवं इस तरह के मामलों का एल.डी.ए नहीं लेता है कोई संज्ञान या यूं समझ लीजिए सब कुछ जान कर बना रहता है अनजान।

क्या इन निर्माणकर्ताओं को क़ानून एवं एलडीए का नहीं है कोई खौफ ?

आखिर इस तरह के अवैध निर्माण का कौन है जिम्मेदार ? और किसकी है जवाब देही, या फिर इनको उच्च अधिकारियों का प्राप्त है संरक्षण।

ब्यूरो रिपोर्ट द इंडियन ओपिनियन

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