मार्गरेट अल्वा को हराकर जगदीप धनखड़ बने भारत के 16वें उपराष्ट्रपति-

शनिवार को हुए चुनाव में कुल 725 वोट पड़े। इनमें से जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले. वहीं विपक्ष की उम्मीदार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले। 71 वर्षीय धनखड़ की जीत शुरू से ही सुनिश्चित लग रही थी। वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और राजस्थान में जाट बिरादरी को आरक्षण दिलाने में इनकी अहम भूमिका रही थी। जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद जितनी सुर्ख़ियां बटोरीं उतनी तो शायद उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में नहीं बटोरी थी।

राजस्थान ज़िले के झुंझुनू ज़िले के किठाना गाँव में 18 मई, 1951 को जन्मे जगदीप धनखड़ ने बंगाल के राज्यपाल का कार्यभार 30 जुलाई, 2019 को संभाला था।
धनखड़ का राजनीतिक करियर वर्ष 1989 से शुरू हुआ। उस वर्ष वे भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत कर पहली बार संसद पहुंचे. वे केंद्र में मंत्री भी रहें।

15 वोट अमान्य घोषित किए गए. इसके साथ ही जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित कर दिया गया। एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़  ने शानदार और बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। शनिवार को मतदान और इसी दिन मतगणना भी हुई. इस दौरान 725 वोट डाले गए, जिनमें से 528 वोट एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को मिले और 182 वोट विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को मिले, जबकि 15 वोट अमान्य पाए गए।

देश के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 11 तारीख़ को शपथ लेंगे। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को ख़त्म हो रहा है। भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है। भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति भी होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगामी विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार घोषित किया था। भाजपा किसानों को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि उनकी पार्टी किसान समर्थक है। इसके अलावा पार्टी ने जाट फैक्टर के मद्देनजर भी धनखड़ को चुना।

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

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