जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने एक दशक पहले बंद हो चुके नदीमर्ग नरसंहार केस को दोबारा खोलने का दिया आदेश-

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पुलवामा के नदीमर्ग में हुए कश्मीरी पंडितों का नरसंहार केस दोबारा खोलने करने का आदेश दिया है। नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 की रात को सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

नदीमर्ग नरसंहार के दौरान 24 कश्मीरी पंडितों की आतंकवादियों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। इनमें 11 महिलाएं और दो साल का बच्चा भी शामिल था। मामले की सुनवाई अब 15 सितंबर, 2022 को होगी।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में जिस समय 24 चिताओं को मुखाग्नि दी जा रही थी तो वहां बस कश्मीरी पंडितों के रोने चीखने की आवाज ही सुनाई दे रही थी। 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने पर मजबूर किया गया था। इसके बाद भी कश्मीर में बचे हिंदुओं पर अत्याचार जारी रहे। इसी कड़ी में नदीमर्ग में आतंकियों ने 23 मार्च 2003 की रात 24 कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था।

जिन लोगों को गोली मारी गयी उनमें 70 साल की बुजुर्ग महिला, 2 साल का मासूम बच्चा और एक दिव्यांग तक शामिल था। 11 महिलाओं, 11 पुरुषों और 2 बच्चों पर आतंकवादियों ने बेहद नजदीक से गोली चलाई थी ताकि मरने वाले अपनी मौत को नजदीक से देख सकें।

सेशन कोर्ट ने 9 फरवरी 2011 को इस केस के गवाहों के बयान कमीशन के जरिए लेने की मांग खारिज कर दी थी। 21 दिसंबर 2011 को इस याचिका को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया था। जस्टिस संजय धर ने यह आदेश वापस लेते हुए केस रीओपन करने की याचिका मंजूर कर ली है। अब कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलने की शुरुआत हो चुकी है। उनके हत्यारे ठोके जा रहे हैं और अब नदीमर्ग हत्याकांड का मामला दोबारा खुलने से उम्मीद जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा।

 

ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’

 

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