नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी ने परिवारवाद के खिलाफ बड़ा संदेश दिया है। बीजेपी ने साफ संकेत दिए हैं कि सांसदों-विधायकों या बड़े पदों पर बैठे नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं दिया जाएगा। तो बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के लाख प्रयासों के बावजूद उनके बेटे को लखनऊ से टिकट नहीं मिल पाया था।
चुनाव के ठीक आखिरी वक्त सांसद के बेटे मयंक जोशी सपा में शामिल हो गए थे।
बीएसपी ने नगर निगम और नगर पालिका चुनाव में अपने पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों और दिग्गज नेताओं को उतारने के संकेत दिए हैं। जबकि राष्ट्रीय लोकदल ने सपा गठबंधन से अलग अकेले ही चुनाव मैदान में ताल ठोकने का रुख जाहिर किया है।
यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद की कमान संभालने वाले भूपेंद्र चौधरी ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ पहली बैठक में ही यह स्पष्ट कर दिया है। पार्टी ने यह भी कहा है कि ऐसे नेताओं के परिवार से कोई व्यक्ति निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेगा।
नगर निकाय चुनाव नवंबर के अंत में या दिसंबर में हो सकते हैं। इसके लिए परिसीमन की प्रक्रिया विभिन्न क्षेत्रों में चल रही है। सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी राज्य का जिलेवार दौरा कर रहे हैं। वो नगर निगम चुनावों के पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’