ठाकुरगंज परिवर्तन जोन-7 बना अवैध निर्माण की मंडी

भ्रष्टाचार की दलदल में डूबे परिवर्तन जोन-7 के अवर अभियंता एवं सुपरवाइजर,

राजधानी लखनऊ के विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी दिन रात मेहनत कर लगातार अवैध निर्माणों को रोकने के प्रयासरत है। तो वहीं दूसरी तरफ वीसी की मेहनत पर अवर अभियंता एवं सुपरवाइजर पानी फेरते नज़र आ रहे है।

एल.डी.ए विभाग के परिवर्तन जोन-7 में तैनात अवर अभियंता एवं सुपर वाइज़ार अवैध वसूली कर दोनों हाथों से लूटने खसोटने में मशगूल है।

कैम्पवल रोड एवं ठाकुरगंज क्षेत्र में अवैध निर्माण अपने चरम पर है,

जब अवैध निर्माण हो रहे होते हैं। तो एलडीए अधिकारी अपनी जेबे गरम करने में लगे रहते हैं।

आखिर पैसे बटोरते समय अवैध निर्माण क्यों नहीं नज़र आते ?

सूबे के सूबेदार इन भ्रष्ट अधिकारियों कि खबर लेते नहीं उलटे गरीब के झोपड़ों पर ही चलता है। उनका बुलडोज़र जबकि होना तो यह चाहिए कि पहले उन भ्रष्ट अधिकारियों पर बुलडोज़र चलाएं जिनकी शह पर लोग धड़ल्ले से अवैध निर्माण करते हैं।

थाना ठाकुरगंज अंतगर्त परिवर्तन जोन-7 लगभग सबसे बड़ा क्षेत्र है। जिसमें ठाकुरगंज, दुबग्गा, कैम्पवल रोड, जहां पर सबसे ज्यादा हो रहा अवैध निर्माण, लेकिन एल.डी.ए.विभाग के किसी अधिकारी को नज़र नहीं आरहा।

मालूम हो कि कोई व्यक्ति अगर अपने घर की नाली सही करा रहा हो तो तुरंत एलडीए विभाग के अधिकारी एवं पुलिस कर्मी तुरंत पहुँच जाते है।

हैरत है कि इतने बड़े-बड़े काम्प्लेक्स बगैर एलडीए विभाग की जानकारी के बन कैसे जाते है।

सच तो यह है एल.डी.ए जे ई, ए ई कराते है। अपने सुपर वाइज़ारों से वसूली एक हज़ार स्कूआर फिट,पर स्लेप दो लाख एवं पचास हज़ार रुपए महीना से शुरू होती है। अब इसके ऊपर जितना जाएंगे उतना ही बढ़ता रहेगा।

जब अवैध निर्माण पर कोई सवाल पूछा जाता है। तो जवाब देने से भागते हैं और जोनल अधिकारी से बात करने के लिए कहते हैं। जब सारे काम जोनल अधिकारी ही करेंगे तो यह किस बात का वेतन उठा रहे हैं?

एक सच यह भी है एल.डी.ए के अधिकारी एवं सुपरवाइजर के वेतन से कई गुना अधिक करते है ऊपर की कमाई, इनकी जांच भी ईडी या एस आई टी द्वारा कराई जाए तो सब कुछ साफ हो जाएगा।

हद तो यह है कि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल जो लोगों की समस्याओं के लिए बना था। वहाँ भी खाना पूर्ती के सिवा कुछ नहीं,,

उस से भी ज़ियादा हैरत की बात तो यह है कि जिस अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जाती है। वही अधिकारी फर्जी निस्तारण कर रिपोर्ट लगा देता है।

अब मुख्यमंत्री पोर्टल को एलडीए अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा बना रखा है।

ब्यूरो रिपोर्ट द इंडियन ओपिनियन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *