साल था 1916, तारीख थी 26 दिसंबर और जगह थी चारबाग रेलवे स्टेशन। यह वही मुकद्दस तारीख थी, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पं. जवाहरलाल नेहरू की पहली मुलाकात हुई थी। इस यादगार मुलाकात के निशां आज भी स्टेशन पर मौजूद हैं और रेलवे ने स्मृति स्वरूप यहां गांधी उद्यान बनवाया है, जहां एक शिलापट्ट भी लगा हुआ है। चारबाग रेलवे स्टेशन उत्तर रेलवे का ए-वन श्रेणी का स्टेशन है। यह स्टेशन ऐतिहासिक है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लखनऊ आना-जाना लगा रहता था। पर, आजादी के कुछ बरस पहले, जब वह लखनऊ आए तो यहां गोखले मार्ग पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष शीला कौल के घर गए थे, जहां अपने हाथों से उन्होंने एक पौधा लगाया था, जो पेड़ बन गया। महिलाओं के लिए एक पाक्र की नींव डाली, जिसे जनाना पार्क के नाम से जाना जाता है।
यह दिन भारतीय राजनीति में बेहद ऐतिहासिक दिन था. चारबाग रेलवे स्टेशन राजपूत और अवधी शैली में बनाया गया है। इसके गुंबद छतरीनुमा हैं। इस रेलवे स्टेशन को बनाने की जिम्मेदारी उस समय के आर्किटेक्ट जैकब और हॉर्नीमैन को दी गई थी। दोनों ही महान नेता लखनऊ में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए लखनऊ शहर आए थे।
करीब 20 मिनट तक पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने यहीं पर रुककर बात की थी। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम के बाबत बाचतीत हुई। पं. नेहरू ने इस बारे में अपनी आत्मकथा में भी जिक्र किया है। जिस जगह पर पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की मुलाकात हुई थी आज उस जगह पर चारबाग रेलवे स्टेशन की पार्किंग है। चारबाग रेलवे स्टेशन की खासियत यह भी है कि जब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर ट्रेन आती है तब चाहे उसका इंजन या हॉर्न कितना ही तेज क्यों न हो,
लेकिन कभी भी उसकी आवाज रेलवे स्टेशन के बाहर तक नहीं जाती है।
ब्यूरो रिपोर्ट ‘द इंडियन ओपिनियन’